जयपुर। दीपावली के दो दिन शेष रहे गए है और वहीं कुम्हार दीये बनाने के काम में तेजी से जुट गए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी दीवाली भी रोशन रहेगी। जयपुर में स्थित कुम्हारों की ढाणी पर कई कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के दीयों को स्वरूप दे रहे हैं। इससे उनकी दीपावली भी पहले से बेहतर रहेगी।
जब हर तरफ तकनीकी की बात हो तो कुम्हारों के चाक कैसे पीछे रह सकते हैं। कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के दीयों को स्वरूप दे रहे हैं। इससे हाथों से चाक घुमाना नहीं पड़ता और कार्य भी जल्दी-जल्दी हो रहा है। मिट्टी के दीयों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं।
कमलेश कुम्हार ने बताया कि शुरुआत में दीयों की कीमत कम होती है। मगर जैसे-जैसे त्यौहार नजदीक आता है और डिमांड बढ़ती जाती है। दीयों की रेट भी बढ़ते जाती हैं। दीपावली तक सौ-डेढ सौ रुपए सैकड़ा तक दीए बिक जाते हैं। डिजायनर दीए थोड़े महंगे होते हैं। हालांकि मिट्टी लाने व दीये बनाने से लेकर पकाने में जो खर्च होता है, उसके हिसाब से लाभ नहीं हो पाता।
दीये पकाने के लिए लकड़ियां भी अब जल्दी नहीं मिलती। जो ईंधन लगता है, वह काफी महंगा हो चुका है। ऐसे में लागत ही निकल आए, वहीं हमारे लिए बेहतर होता है, लाभ कमाने की तो बात ही नहीं।