November 21, 2024, 12:56 pm
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कुम्हारों ने तैयार किए विभिन्न प्रकार के मिट्टी के दीपक

जयपुर। दीपोत्सव का त्योहार नजदीक आते ही कुम्हारों ने मिट्टी के दीपक तैयार कर लिए हैं। अब उन्हें बाजार में दुकान लगाकर और गलियों में घूमकर बेचने में लगे हैं। दीपावली पर शहरवासी स्थानीय उत्पादों को अधिक महत्व देने और विशेषकर दीपावली के त्योहार पर मिट्टी के दीपों की खरीदारी कर अपने घरों को उनसे रोशन करेंगे। इसलिए कुम्हारों ने मिट्टी के दीपक बनाकर उनको बेचना शुरू कर दिया है।

पिछले कई सालों से यह देखने में आ रहा था कि लोगों का धीरे-धीरे मिट् टी के दीपों से मोह भंग हो गया था। लोग चीनी उत्पादकों की ओर अधिक बढ़ रहे थे और घरों में मिट्टी के दीपक की बजाय आर्टिफिशियल दीपकों की मांग बढऩे लगी थी। जब से चीनी सामानों का बहिष्कार किया, उसके बाद ऐसा लगने लगा है कि अब दीपावली पर प्रत्येक घरों में मिट्टी के दीपकों का ही उपयोग होगा। चीनी सामान का बहिष्कार करने के चलते लोगों ने मिट्टी के दीपक खरीदे थे। इससे कुम्हारों को अच्छी कमाई हुई थी।

प्रमुख बाजारों में भी दीपकों की अच्छी खासी बिक्री हो रही है। विभिन्न आकृतियों में तैयार किए दीपकों की मांग बढ़ रही बदलते दौर के साथ कुम्हार विभिन्न आकृतियों में दीपक तैयार कर रहे हैं, जो लोगों को सबसे अधिक पसंद आ रहे हैं। ऐसे में मिट्टी के दीपों की मांग बढऩे लगी है।

लोगों को पसंद आ रही है वैरायटी:

कुम्हारों ने विभिन्न वैरायटी में दीपक तैयार किए हैं। इस वर्ष भी अलग-अलग डिजाइन वाले दीपक तैयार किए हैं। इसमें 100 से 120 रुपए सैकड़े की कीमत तक यह बिकने की उम्मीद है। इसके अलावा विभिन्न डिजाइनों में तैयार दीपक की कीमत 10 से 15 रुपए प्रति नग है, जिनका आकार सामान्य दीपक की अपेक्षा काफी बड़ा होगा।

दोगुनी बिक्री का अनुमान:

छोटी चौपड़ पर दीपक बेच रहे राजेश प्रजापति ने बताया इस बार दीपावली पर मिट्टी के दीपकों की बिक्री अधिक होने की उम्मीद है। पिछले साल से भी अधिक तैयारी इस बार की गई है। विभिन्न आकृतियों वाले दीपकों की वजह से मिट्टी के दीपकों का क्रेज और बढ़ेगा।

उन्होंने बताया पिछले साल उनके द्वारा हजारों की तादाद में मिट्टी के दीपक सहित अन्य सामग्री बेची गई थी। इस साल दोगुना बिक्री होने की संभावना है। दीपक बनाने के लिए मिट्टी और र्ईंधन की आवश्यकता लगती है। पहले मिट्टी के पैसे नहीं लगते थे लेकिन अब गांव में जगह-जगह अतिक्रमण होने से हम लोगों को खेतों से मिट्टी खरीदना पड़ रही है। इस कारण भी दाम भी बढ़ाना पड़ रहे हैं।

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