जयपुर। कालवाड़ शक्तिपीठ में वेदमाता गायत्री और प्रज्ञेश्वर महादेव की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में सोमवार को 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ से पूर्व 15000 हजार महिलाओं की कलश यात्रा निकाली गई। तीन स्थानों से निकली कलश यात्रा के करण कालवाड़ गायत्री मय हो उठा। प्रथम पूज्य गणपति, भगवान शिव, राम, कृष्ण, हनुमान जी, शिव जी बारात, नव दुर्गा,भारत माता, महाराणा प्रताप की सजीव झांकी आकर्षण का केंद्र रही।
शोभायात्रा में जहां युवा ध्वज थामे चल रहे थे वहीं किशोरियां भगवा साफा बांध कर जयकारे लगाते हुए चल रही थी। विभिन्न जिलों से आए गायत्री परिवार के कार्यकर्ता नशा मुक्ति के स्लोगन लिखी विशेष पोशाक पहन कर व्यसन मुक्त भारत बनाने का संदेश देते हुए चल रहे थे। बड़ी संख्या में लोग हाथ में नारी जागरण, कुरीति उन्मूलन के नारे लिखी तख्तियां थामे चल रहे थे।कालवाड़ की मस्जिद से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुष्प वर्षा कर कलश शोभायात्रा का स्वागत किया। मुस्लिम युवाओं ने फल वितरण किया।
जगह जगह कलश यात्रा का ग्रामीणों ने उस वर्षा करें स्वागत किया। कलश यात्रा में उमड़ी मातृशक्ति के हुजूम को देख लोग भाव विभोर हो गए। विविध मार्गो से होती हुई कलश यात्रा यह यज्ञ स्थल पहुंची। यहां देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या में विशाल जन मेदिनी को संबोधित किया। डॉ सचिन में पढ़ाने कहा कि श्रद्धा, समर्पण और विश्वास से कोई भी व्यक्ति भगवान और गुरु की कृपा को सहेज प्राप्त कर सकता है। भक्त और शिष्य का विश्वास संकट में भी डगमगाना नहीं चाहिए। भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए पंड्या ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में संकट आते हैं।
हमें संकट से घबराना नहीं चाहिए। हमें हमेशा श्रेष्ठ कर्म करते रहना चाहिए और यह मन में विश्वास रखना चाहिए कि भगवान रुपी सी सी टी वी कैमरे की नजर हमारे ऊपर चौबीस घंटे बनी हुई है । इससे पूर्व शांतिकुंज हरिद्वार से टोली नायक शशिकांत सिंह की अगुवाई में पांच सदस्यीय उद्गाता बंधुओं, गायत्री कचोलिया ने प्रज्ञा गीतों की प्रस्तुतियां दीं।शांतिकुंज हरिद्वार से राजस्थान की केंद्रीय समन्वय को गौरी शंकर सैनी,गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल,कालवाड़ शक्तिपीठ के मुख्य ट्रस्टी धर्म सिंह राजावत, सतीश भाटी, डॉ प्रशांत शर्मा, कालवाड़ गांव के सरपंच त्रिवेंद्र सिंह ने डॉ अपना पंड्या का राजस्थानी साफा पहनाकर और तलवार भेंट कर अभिनंदन किया ।
108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ अक्टूबर से
मुख्य आयोजनों का क्रम एक अक्टूबर से शुरू होगा। सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ होगा। शांतिकुंज हरिद्वार से आने वाली विद्वानों की टोली यज्ञ संपन्न कराएंगी। एक अक्टूबर को ही शाम चार से शाम सात बजे तक प्रज्ञा पुराण की कथा होगी। इसी सत्र में प्रज्ञा गीत और प्रवचन भी होंगे। दो अक्टूबर को सुबह सात से दोपहर बारह बजे तक गायत्री महायज्ञ और विभिन्न संस्कार कराए जाएंगे। सर्व पितृ अमावस्या होने के कारण सामूहिक श्राद्ध तर्पण भी सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक होगा। यह कार्यक्रम भी निशुल्क होगा। शाम पांच से सात बजे तक दीपयज्ञ होगा। हजारों की संख्या में दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। तीन अक्टूबर को सुबह सात से दोपहर एक बजे तक गायत्री माता, शिव पंचायत की प्राण प्रतिष्ठा और गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी।
कार्यकर्ताओं की समितियां गठित
आयोजन को व्यवस्थित बनाने के लिए अनेक समितियां गठित की गई है। भोजनशाला, यज्ञ प्रबंधन, आवास, पंजीयन, पदवेश, मीडिया, चिकित्सा, पूछताछ-स्वागत, संस्कार प्रकोष्ठ, संस्कारशाला,पार्किंग, सफाई, विद्युत,मंच, सुरक्षा, जल व्यवस्था, साहित्य स्टॉल सहित अन्य कार्यों से जुड़ी समितियां गठित की गई है। सभी समितियां के कार्यकर्ता स्वयं प्रेरणा से कार्यों में जुटे हुए हैं।
प्रदर्शनियां है आकर्षण का केन्द्र: आयोजन स्थल पर आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी और व्यसन मुक्ति की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी प्रदर्शनी में श्रेष्ठ और संस्कारी संतान के लिए वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक पक्ष को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है। वहीं सभी तरह के नशे छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति प्रदर्शनी भी लगाई गई है।