जयपुर/श्रीगंगानगर। कपास की खेती की बात की जाए तो 120 लाख हेक्टेयर के साथ, हमारा देश पहले स्थान पर है। हालाँकि, जब उत्पादकता की बात आती है, तो हमारा देश उत्पादकता के मामले में 38वें स्थान पर ठहरता है। लेकिन समस्या खरपतवार के संक्रमण में है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, खरपतवार के संक्रमण के कारण कपास की पैदावार में 40 प्रतिशत से 85 प्रतिशत तक की कमी आती है।
गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के क्रॉप प्रोटेक्शन बिजनेस के सीईओ राजावेलु एनके कहते हैं, ‘‘शुरुआती चरणों के दौरान, कपास की वृद्धि धीमी होती है। इस दौरान पंक्तियों के बीच की दूरी भी ज्यादा होने से, यह विभिन्न प्रकार के खरपतवारों को बढ़ने का मौका देता है जो पानी, पोषक तत्वों और प्रकाश के लिए कपास की फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं I
इस समस्या के समाधान के लिए कंपनी ने पिछले साल मैक्सकॉट लॉन्च किया था। मैक्सकॉट एक प्री-इमर्जेन्ट खरपतवार नाशक है, जो पहले दिन से कपास के अधिकांश प्रमुख खरपतवारों को नियंत्रित करता है, जिससे फसल को 25-30 दिनों की खरपतवार मुक्त वृद्धि मिलती है। यह न केवल पारंपरिक तरीकों की तुलना में बेहतर खरपतवार नियंत्रण प्रदान करता है, बल्कि खरपतवार प्रबंधन की लागत को भी कम करता है।
राजावेलु एनके ने आगे कहा, ‘‘यह एक ज्ञात तथ्य है कि पंजाब में कपास किसानों को खरपतवारों और श्रमिकों की बढ़ती लागत के खिलाफ जुझना पड़ता है।
इसके अलावा, नयी टैक्नोलॉजी की बारीकियों के बारे में कम जागरूकता और मैनुअल/मैकेनिकल खरपतवार प्रबंधन पर निर्भरता के कारण, सभी छोटे और बड़े किसान कम पैदावार की समस्या से भी जूझते हैं। इसलिए, मैक्सकॉट (शुरुआत सही तो चिंता नहीं) जैसा प्री-इमर्जेन्ट खरपतवार नाशक किसानों को फसल वृद्धि की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान खरपतवार प्रतिस्पर्धा को रोकने में मदद कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप स्वस्थ फसल और उच्च उत्पादकता प्राप्त हो सकती है।’’
उन्नत टैक्नोलॉजी और अनुसंधान का उपयोग करके, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड का प्रयास कपास फसल में उच्चतम दर्जे के खरपतवार प्रबंधन को उपलब्ध करIने का है और जिसका अन्य फसलों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कंपनी किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है I