जयपुर। आध्यात्मिक गुरु स्वयं भगवान् का साक्षात स्वरुप होते हैं, वह भक्तों के जीवन का उद्धार करते हैं और उन्हें भगवद भक्ति का आशीर्वाद प्रदान करते है| कृष्ण कृपामूर्ती श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती महाराज भगवान् चैतन्य महाप्रभु के प्रतिनिधि थे, अर्थ से परमार्थ तक कैसे जाया जाता है यह उनके जीवन से साफ़ झलकता है| दिल्ली के भारत मंडपम में गुरुवार 8 फ़रवरी को एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कर कमलों से उनके सम्मान में एक स्मारक टिकेट और एक सिक्का जारी किया| यह कार्यक्रम उनकी 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में 6 फ़रवरी से प्रारंभ हुआ था| ज्ञात हो की उनकी जयंती की तिथि 29 फ़रवरी है|
श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर गौडीय संप्रदाय के प्रमुख गुरु एवं आध्यात्मिक प्रचारक थे, भगवान् श्रीकृष्ण की भक्ति-उपासना के अनन्य प्रचारकों में उनका नाम अग्रणी है उन्ही से प्रेरणा और भगवद भक्ति का आशीर्वाद लेकर अभय चरणारविन्द भक्ति वेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने पूरे विश्व में ISKCON की स्थापना की और लाखों व्यक्तियों को (जिनमे विदेशी भी शामिल थे) भगवान श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त बनाने में सफलता प्राप्त की|
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस भव्य आध्यात्मिक आयोजन में अपने भाव प्रकट करते हुए कहा “ मैं श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्राभुपाद को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ और उनके अनुयायियों को उनकी 150 वी जयंती की शुभकामनायें देता हूँ| आज मुझे उनकी स्मृति में स्मारिका और सिक्का जारी करने का सौभाग्य मिला। ये जयंती ऐसे समय में मना रहे हैं, जब कुछ दिन पहले सैकड़ों साल पुराना भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ। आज आपके चेहरे पर जो उल्लास दिख रहा है, इसमें रामलला के विराजमान होने की खुशी भी शामिल है। इतना बड़ा महायज्ञ संतों के आशीर्वाद से ही पूरा हुआ”।