जयपुर। रामगंज के कांवटियों का खुर्रा स्थित श्री श्याम प्राचीन मंदिर में बुधवार कोभक्त शिरोमणि पं. गोकुलचन्द मिश्र को समर्पित 46 वां गुरु वंदना महोत्सव भक्तिभाव से मनाा गया। मंदिर महंत तथा पं. गोकुलचंद मिश्र के पौत्र पं. लोकेश मिश्रा के सान्निध्य में श्याम प्रभु की पूजा-अर्चना कर पं. गोकुलचन्द मिश्र के चित्रपट की पूजा की गई। इसके बाद गायत्री महायज्ञ में आहुतियां अर्पित की गईं। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी से आए पं.मुकेश शर्मा ने वैदिक विधि से यज्ञ संपन्न करवाया। गायत्री एवं महामृत्युंजय महामंत्र के अलावा श्याम प्रभु के मंत्र के साथ यज्ञ देवता को आहुतियां अर्पित की गईं।
शाम को श्याम प्रभु का दरबार सजाकर अखंड ज्योत प्रज्जवलित की गई। भजनों की स्वर लहरियों से लखदातार का गुणगान किया गया।घर-घर जलाई श्याम प्रभु की ज्योत:उल्लेखनीय है कि पं. गोकुलचन्द मिश्र का जन्म खाटूधाम में हुआ था। उनके पिता का नाम श्यामसुंदर मिश्र था। वह श्याम बाबा को भागवत सुनाते थे। खाटू श्याम मंदिर परिवार से उनका घनिष्ठ संबंध था जो आज भी है। इसलिए गोकुलचंद मिश्र का बचपन श्याम मंदिर में ही बीता। आलू सिंह और श्याम बहादुर इनके घनिष्ठ मित्र थे। तीनों मित्र मिलकर श्याम बाबा का प्रचार-प्रसार करते। बाद में गोकुलचंद मिश्र श्याम मंदिर खाटूधाम के प्रथम ब्राह्मण पुजारी नियुक्त किए गए। इससे पहले श्याम प्रभु की सेवा पूजा मंदिर परिवार किया करता था।
लंबे समय तक उन्होंने श्याम बाबा की सेवा पूजा की। गोकुलचंद मिश्र अस्वस्थ होने के कारण जयपुर आ गए। कांवटियों का खुर्रा रामगंज बाजार स्थित निज आवास में आलू सिंह और गोकुलचंद निज मंदिर खाटूधाम से ज्योत लेकर आए। जयपुर में उन्होंने 1962 में श्याम नाम की ज्योत जगाई। श्याम भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी तो सन 1966 में श्याम बाबा का प्रचार-प्रसार करने के लिए आलू सिंह महाराज, मांगीलाल सारडा, राधेश्याम सर्राफ, देवीसहाय खाटूवाले के सहयोग से श्री श्याम सत्संग मंडल की स्थापना की। सभी ने घर-घर जाकर श्याम बाबा की ज्योत जगाई। अब गोकुलचंद मिश्र के वंशज इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। गोकुलचन्द मिश्र 15 मई 1978 को श्याम शरण में चले गए।