जयपुर। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 11 सितंबर को राधा अष्टमी का पर्व भक्तिभाव से मनाया जाएगा। छोटीकाशी के देवालयों में राधाजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारणा कराई जाएगी। फूलों से आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि राधा अष्टमी के दिन रवि योग बनने से इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का विशेष फल मिलेगा। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात्रि में करीब ग्यारह बजे शुरू हो जाएगी। जिसका समापन अगले दिन 11 सितंबर को रात्रि में करीब 12 बजे होगा।
उदयातिथि के आधार पर राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा। लाड़ली जी की पूजा का समय सुबह 11: 03 मिनट से दोपहर 01: 32 मिनट तक विशेष शुभ रहेगा। पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 29 मिनट रहेगी। राधा अष्टमी पर ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह से रात 9: 22 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से मूल नक्षत्र प्रारंभ है।
मुख्य उत्सव गोविंद देवजी मंदिर में:
राधाष्टमी का मुख्य उत्सव 11 सितंबर को गोविंद देवजी मंदिर में होगा। मंगला झांकी दर्शन सुबह 4 बजे होंगे। इसके बाद 4.45 बजे प्रिया जी (राधारानी जी) के अभिषेक दर्शन खोले जाएंगे। राधारानी जी का दूध, दही, घी, बूरा, शहद से पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। खास बात यह है कि राधाजी के अभिषेक के समय ठाकुरजी की प्रतिमा पर पर्दा किया जाएगा। यानी राधाजी के अभिषेक के समय ठाकुरजी के दर्शन नहीं होंगे। इसके बाद महाआरती के दर्शन होंगे। पंचामृत का निशुल्क वितरण मंदिर परिसर में किया जाएगा। इसके बाद धूप झांकी खोली जाएगी।
ठाकुर श्रीजी को नवीन पीत (पीली) पोशाक एवं विशेष अलंकार श्रृंगार धारण कराए जाएंगे। पंजीरी, लड्डू, मावा की बर्फी का भोग अर्पण किया जाएगा। धूप झांकी में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुर श्रीजी का अधिवास पूजन किया जाएगा। छप्पन भोग झांकी के दर्शन होंगे। श्रृंगार झांकी में बधाई-उछाल कर श्री राधा रानी जी का उत्सव मनाया जाएगा। संध्या काल में ठाकुर श्रीजी की विशेष फूल बंगला झांकी के दर्शन होंगे। विशेष उत्सव दर्शन झांकी शाम 7 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक होंगे। इसके बाद शयन झांकी खोली जाएगी।