जयपुर। आदर्श नगर के श्री राम मंदिर में चल रही श्री राम लीला में पुष्प वाटिका की लीला के अंर्तगत सीता जी माता गिरिजा जी की पूजा करने पुष्प वाटिका पहुंची। भवानी जी के मंदिर में उन्होंने माता से प्रार्थना की कि हे माता ,आपका ना आदि है ना मध्य है और न अंत है, आपके असीम प्रभाव को वेद भी नहीं जानते ।आप संसार को उत्पन्न ,पालन और नाश करने वाली हैं । मेरे मनोरथ को आप भली-भांति जानती है क्योंकि आप सब के हृदय में निवास करती हैं।गिरिजा जी सीता जी से प्रसन्न होकर कहती हैं ।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहू जानत रावरो।अर्थात जिस में आपका मन अनुरक्त हो गया है ,वही स्वभाव से सुंदर, सांवला वर आपको मिलेगा ।वह दयानिधान और सर्वज्ञ हैं वह आपके शील और स्नेह को भली प्रकार से जानते हैं ।सीता जी माता गिरिजा जी से ऐसा आशीर्वाद पाकर बहुत प्रसन्न हुईं ।
सीता जी के स्वयंवर में सभी स्थानों से राजा और राजकुमार पहुंचे थे।स्वयंवर में जनक जी ने सीता जी को बुला भेजा ।सीता जी के दिव्य रूप की शोभा मुख से कही नहीं जा सकती। वह अपनी सखियों सहित पहुंची ।राजा जनक जी ने स्वयंवर में एक शर्त रखी थी कि जो शिव जी के धनुष को उठाकर तोड़ेगा ,सीता जी उसी के गले में जयमाला पहना देंगीं।उपस्थित राजाओं में से कोई भी धनुष को उठा तक नहीं पाया तब गुरु की आज्ञा पाकर रामचंद्र जी उठे। तेहि छन राम मध्य धनु तोरा ।
भरे भुवन धुनि घोर कठोरा।अर्थात उसी क्षण श्री राम जी ने धनुष को बीच से तोड़ डाला और कठोर ध्वनि से लोक भर गया ।धनुष के टूटते ही सीताराम जी ने श्री राम जी के गले में जयमाला पहना दी। धनुष के टूटने की आवाज सुनकर परशुराम जी अत्यंत क्रोध में वहां आए और लक्ष्मण परशुराम संवाद हुआ साथ ही श्री राम जी के विवाह की लीला हुई ।
प्रन्यास के राजीव मनचन्दा और केशव बेदी ने बताया कि सोमवार को मंथरा कैकई संवाद ,दशरथ कैकई संवाद , कौशल्या श्री राम संवाद और श्री राम वन गमन की लीला होगी।