जयपुर। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 6 से 15 जुलाई तक गुप्त नवरात्र में मां भगवती की गुप्त साधना होगी। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन अश्व पर होगा। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्र का समापन भड़ल्या नवमी 15 जुलाई को होगा। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, इस कारण इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम मुहूर्त देखे बिना ही किए जा सकते हैं।
इसके दो दिन बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी रहेगी। आमेर के शिला माता, मनसा माता, पुरानी बस्ती के रुद्र घंटेश्वरी, घाटगेट श्मशान स्थित काली मंदिर, दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता मंदिर में गुप्त नवरात्र में विशेष अनुष्ठान होंगे। मां काली के उपासक इस अवधि में रात्रि को तंत्र साधना करेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि गुप्त नवरात्रा में नौ महाविद्याओं मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी देवी की साधना की जाती है। उल्लेखनीय है कि साल में चार नवरात्रि होते है। चैत्र और आश्विन में प्रकट नवरात्रि तथा आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्र होते हैं।
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू:
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और 15 जुलाई से ही चातुर्मास शुरू हो जाएगा। लेकिन 17 जुलाई देवशयनी एकादशी के बाद से शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं होगें। शुभ कार्य के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इन दिनों भक्ति करनी चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। विष्णुजी, शिव जी, श्रीकृष्ण आदि भगवानों के ग्रंथों का पाठ करें। वहीं शुभ कार्य दीपावली के त्योहार के बाद 12 नवंबर को हरिप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी से फिर से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।