बीकानेर। अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री प्रियदर्शी जी महाराज द्वारा रचित, अभूतपूर्व ग्रन्थ ‘श्रीकृष्ण चरित मानस’ (रसायन महाकाव्य) के माध्यम से सप्त दिवसीय श्री राधाकृष्ण की सुंदर कथाओं का आयोजन, बीकानेर में माखन भोग के प्रांगण में संपन्न हुआ। इस आध्यात्मिक कार्यक्रम मे, रसकाव्य कथा के माध्यम से भक्तों को यह बताया गया, कि किस प्रकार से भगवान का अवतार धरती पर होता है। जब-जब भगवान धरती पर आते हैं, तो उसके पीछे एक वृहद कारण होता है; या अनेक कारण होते हैं।
उनमें से कुछ कारणों पर कथा के माध्यम से प्रकाश डाला गया और बताया गया कि भगवान सिर्फ दुष्टों का संहार करने के लिए नही, बल्कि भगवान अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए भी धरती पर पधारते हैं। अपने भक्तों को ज्ञान और भक्ति का मधुर रस पिलाने के लिए, उनको लीलाओं का रसास्वादन कराने के लिए पधारते हैं। जिससे भक्तों में नया उत्साह बढ़े और उनका जो अनंत विरह है, उस विरह में श्री प्रिया प्रियतम के मिलन का रस वे चख सकें।
भगवान साधकों को अनेक प्रकार की प्रेरणा एवं स्मृतियाँ देने के लिए आते हैं। मुख्यतः कृपा करने के लिए प्यारे श्याम सुंदर आते हैं। इसी क्रम में बताया गया कि, किस प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में प्रकट हुए, कैसे मथुरापुरी से गोकुल में आए और कैसे ब्रज वासियों ने भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का खूब धूमधाम से, बधाइयों के साथ उत्सव मनाया।
साथ ही यह बताया गया कि यशोदा मैया का क्या भाव रहा, कैसे भाव समाधि में यशोदा मैया ने श्रीकृष्ण के पूर्व दर्शन किए और फिर प्रकट दर्शन किए। नंद बाबा की क्या स्थिति रही, ब्रज वासियों की क्या स्थिति रही, यहाँ तक की ब्रज की गायों की क्या स्थिति रही, उनके क्या भाव रहे, इन बातों को बताया गया। विश्व मेडिटेशन दिवस पर यह बताया गया कि रुपध्यान भारतीय संस्कृति की बड़ी ही ऐतिहासिक और प्रमाणिक व्यवस्था है और कैसे रुपध्यान के सहयोग से साधक अपनी साधना में आगे बढ़ सकते हैं। इस प्रकार बीकानेर वासियों ने कथा का आनंद लिया।