जयपुर। रामानन्दी सम्प्रदाय के प्रमुख राष्ट्रवादी पीठ श्री पंच खण्ड पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी सोमेन्द्र महाराज ने समस्त सनातनियों विशेषकर रामानन्द सम्प्रदाय के लश्करी शाखा की ओर से चारों पीठों के शंकराचार्यों से आग्रह किया है कि उन्हें बाईस जनवरी को अयोध्या पधारकर भगवान श्रीराम की प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित होना चाहिये। यह सुअवसर पांच सौ वर्षों के असंख्य रामभक्तों के बलिदान, लाखों सन्तों के त्याग एवं अनेक अभियानों और आन्दोलनों के उपरान्त प्राप्त हुआ है। कुछ आपत्तियों को दरकिनार कर करोड़ों आस्थावान सनातनियों की आस्था एवं श्रृद्धा को देखते हुए शंकराचार्यों को प्राण-प्रतिष्ठा में अवश्य भाग लेना चाहिये। हम उनसे विनम्र प्रार्थना करते है कि वे अपना निर्णय बदलें।
आचार्य स्वामी सोमेन्द्र महाराज ने कहा कि उनके सद्गुरुदेव ब्रह्मलीन राष्ट्रसंत निवर्तमान श्री पंचखंड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज ने राम जन्मभूमि मुक्ति एवं राम मंदिर निर्माण के लिये आजीवन संघर्ष किया। 1981 से जीवन पर्यंत वे संतों को एकजुट करने, धर्म संसद, संत सम्मेलनों के माध्यम से जनता में जागृति उत्पन्न कर अगणित धर्म सभाओं के माध्यम से श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में ऊर्जा भरने का कार्य करते रहे। इस दौरान उन पर अनेकों मुकद्में दायर हुए आठ बार उन्हें जेल जाना पड़ा। एक मुकदमें में उन्हे दो वर्ष की कारावास की सजा हुई परन्तु उन्होंने कभी अपने राममंदिर निर्माण के संकल्प को कमजोर नहीं पड़ने दिया।
उन्होंने पूरे राम मंदिर आन्दोलन का नेतृत्व किया और सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, आज उनका अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का स्वप्न पूरा हो रहा है तो उनके उत्तराधिकारी के नाते मैं चारो शंकराचार्यों और अन्य कुछ सन्तों से जो कतिपय कारणों से नाराज है हृदय से अनुरोध करते है कि वह राममंदिर निर्माण के उत्साह एवं पवित्र वातावरण को धूमिल ना करें और प्राण-प्रतिष्ठा में सम्मिलित हो।
वह केन्द्र सरकार से हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन औवेसी पर कठोर कार्यवाही की माँग करते है। औवेसी पूरे देश में साम्प्रदायिक जहर फैला रहे हैं, उन पर राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिये, वे दशकों से कह रहे हैं कि भाजपा ने बाबरी ढाँचा तोड़ा, मैं पूज्य पाद आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज की दैनन्दिनियों में उनके स्वयं के द्वारा लिखे वृतान्तों को पढ़कर स्पष्ट करना चाहते है कि 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढ़ाँचा टूटेगा, इसकी जरा सी भी जानकारी या भनक तक अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी एवं कल्याण सिंह को नहीं थी।
आचार्य ने अपनी डायरियों में लिखा है कि 1990 में 17 कासेवकों के बलिदान के बाद राम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन से जुड़े सभी वरिष्ठ संत अत्यन्त व्यक्ति एवं आक्रोशित थे, 6 दिसम्बर, 1992 की कार सेवा के महिनों पहले से सन्तों ने विहिप के अशोक सिंघल और आचार्य गिरिराज किशोर को कहना प्रारम्भ कर दिया था कि हमारे आश्वासन पर हिन्दू जनता आन्दोलन के प्रत्येक चरण को सफल बनाती है, प्रत्येक धर्म सभा, धर्म संसद में उपस्थित होती है, कार सेवा के लिये उन्हें बार-बार नहीं बुलाया जा सकता अब जो कार सेवा हो उसमें कुछ होना चाहिये
सितम्बर 1992 में आचार्य गिरिराज किशोर आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज से मिले और दोनों में एक योजना बनी और एक निर्णय लिया, दोनों ने इस सम्बन्ध में अशोक सिंघल से चर्चा की, अशोक सिंघल नागपुर जाकर तत्कालीन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के सर संघचालक बालासाहब देवरस से मिले और सन्तों के आक्रोश (विशेषकर परमहंस रामचन्द्र दास, स्वामी वामदेव, स्वामी धर्मेंद्र महाराज, साध्वी ऋतम्भरा के गुरु स्वामी परमानन्द आदि) के बारे में बताकर दिसम्बर की कार सेवा में कुछ बड़ा कार्य करने पर विचार विमर्श कर मार्ग निर्देशन मांगा। संघ प्रमुख ने अशोक सिंघल से कहा कि जो भी हो हिंसा नहीं होनी चाहिये, अनुशासन का ध्यान रखा जाये तथा पूर्ण गोपनीयता बरती जाये।
संघ प्रमुख का स्वास्थ्य ठीक नहीं था, उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) को विश्वास में लेने का सुझाव दिया. अशोक सिंघल ने उनसे आग्रह किया कि वे अटल, आड़वाणी को इस सम्बन्ध में कहें (निर्देशित करें) तब संघ प्रमुख ने स्पष्ट किया कि इस सबसे भाजपा को दूर रखा जाये और अटल, आड़वाणी यहाँ तक की कल्याणसिंह को कुछ ना कहा जाये, बस कार सेवा में उन्हें सहयोगी की भूमिका में रखा जाये, क्योंकि वो किसी भी कार्यवाही के लिये सहमत या तैयार नहीं होंगे। अशोक सिंघल और आचार्य गिरिराज किशोर, रज्जू भैया और हो. वे. शेषादि से सीधे तौर पर किसी योजना या एक्शन के बारे में बात नहीं करके कारसेवा की सम्पूर्ण कार्य योजना, तैयारियों आदि पर कई दौर की बात की।
कारसेवा का स्वरुप निश्चय किया जा चुका था, सरयू के किनारे से मिट्टी लाकर रामलला को ढ़ाँचों से कुछ दूरी पर अर्पित करनी थी कल्याण सिंह सुप्रीम कोर्ट में शांतिपूर्वक कार सेवा का उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से शपत पत्र दे चुके थे।
कार सेवक 2 दिसम्बर को ही हजारों की संख्या में पहुँच चुके थे, 4 दिसम्बर को कार सेवक पुरम (जहाँ शिलाएं तैयार करने की कार्यशाला बनाई गई थी) में कुदाल, फावड़े, बल्लम, गैती आदि रखवा दी गई थी।
5 दिसम्बर को राम चबुतरे पर बनाये जा रहे मंच को देखने जब आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज पहुँचे तो हजारों कारसेवक उन्हें देख कर श्श्जयश्रीराम एवं बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि को काम का नारे लगाने लगे, वे उन्हें चारों तरफ से घेर कर खड़े हो गये और कहने लगे कि हम सिर्फ सरयू की मिट्टी उठाने नहीं आये हैं, महाराज जी ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि कल देश पर लगा कलंक, ये काली-काली प्राचीर किसी भी सूरत में हमें दिखाई नहीं देगी। भीड़ में कुछ पत्रकार भी थे वे इस सम्बन्ध में कुछ समझ पाते उससे पहले महाराजश्री वहाँ से अपने गन्तव्य की ओर चले गये।
कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के चयनित कारसेवकों सी.आर.पी.एफ., पी.ए.सी. व उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा ढ़ाँचे से कुछ दूरी पर लगाये बैरिकेट तक पहुँचना था, वहाँ उत्तर प्रदेश व बिहार के कारसेवकों को बैरिकेट तोड़ने थे। कर्नाटक, महाराष्ट्र के कारसेवकों को बाबरी ढ़ाँचे के गुम्बदों तक पहुँचना था, वहाँ उन्हें कुदाल, बल्लम, फावड़े और गैती उपलब्ध कराई जानी थी।
5 दिसम्बर को ही लाखों कारसेवक अयोध्या पहुँच चुके थे। 6 दिसम्बर की सुबह पूरी अयोध्या में रामभक्त ही रामभक्त दिखाई दे रहे थे, हाँ सुरक्षाबल भी बहुत ज्यादा तैनात थे।
6 दिसम्बर को जो कुछ हुआ वो पूरे संसार ने देखा, पूज्य आचार्य स्वामी धर्मेंद्र जी महाराज ने लिब्राहन आयोग में और सीबीआई की विशेष अदालत में स्पष्ट कहा था, 6 दिसम्बर को हमने जो किया सबके सामने किया, प्रत्यक्ष किया, हमें उस पर गर्व है और कोई भी सजा पाने के लिए हम तैयार हैं, उन्होंने सार्वजनिक सभाओं में पत्रकारों को और टीवी चैनल्स को भी कहा कि 6 दिसम्बर को जो हुआ, हम उसके लिये उत्तरदायी हैं और किसी का कोई दायित्व नहीं।
आज जब राम मंदिर निर्माण हो रहा है उस पर हमें गर्व होना चाहिए तथा जो संत एवं कारसेवक हमारे मध्य नहीं है, गोलोकवासी हो गये उन्हें अयोध्या भगवान राम के दर्शन कर सच्ची श्रद्धांजलि देनी चाहिये, इसलिये वह चलो अयोध्या अभियान चलाये हुए हैं, और दिसम्बर 2024 को जब तक मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जायेगा तब तक चलाते रहेंगे।