जयपुर। ज्ञात-अज्ञात पापों के प्रायश्चित करने के लिए श्रावणी पूर्णिमा पर यज्ञोपवीत धारण करने वाले द्विजों ने दस विध स्नान कर पुराना जनेऊ उतारकर नया धारण किया। गलताजी, आमेर के सागर, मावठा सहित मंदिरों, विवाह स्थलों, उद्यानों में बड़ी संख्या में ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म किया। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में श्रावणी उपाकर्म, दसविधि स्नान, हवन और पौधरोपण का कार्यक्रम हुआ।
वेदमाता गायत्री की पूजा-अर्चना के बाद दिनेश आचार्य ने मंत्रोच्चार के साथ भस्म, मिट्टी, गोबर, गोमूत्र, गो दुग्ध, गोदधि, गोघृत, सर्वाेषधि, हल्दी, कुशा, मधु का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व बताते हुए स्नान कराया। एक-एक स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराया गया।
श्रावणी कर्म के बाद सभी ने पुराना जनेऊ उतारकर नया जनेऊ धारण किया। इसके बाद गायत्री हवन में आहुतियां अर्पित की। एक-दूसरे के रक्षासूत्र बांधा। सभी को नारी की गौरव और गरिमा को अक्षुण्य बनाए रखने का संकल्प कराया।
गायत्री परिवार राजस्थान के प्रभारी ओमप्रकाश अग्रवाल ने इस मौके पर कहा कि श्रावणी पर्व ज्ञान और कर्म का पर्व है। इसी प्रकार रक्षाबंधन का पर्व मर्यादा पालन और कर्तव्य परायणता का संदेश देता है।