जयपुर। श्री गोपाल जी महाराज की 206 वीं हेडे की परिक्रमा भादवा सुदी छठ सोमवार नौ सितंबर को सुबह 6 बजे जौहरी बाजार के गोपाल जी का रास्ता स्थित श्री नृसिंह जी के मंदिर से प्रारंभ होगी। छह कोस की परिक्रमा के करीब 20 मंदिरों के दर्शन करते हुए श्रद्धालु करीब 21 किलोमीटर(मार्ग बदलने के कारण एक कोस अधिक) की यात्रा करेंगे।
पुन: गोपाल जी का मंदिर पहुंचने में 17-18 घंटे का समय लगेगा। आयोजन से जुड़े कुंज बिहारी धोती वालों ने बताया कि श्रद्धालु जयपुर के प्रसिद्ध परिधान सफेद धोती, कुर्ता एवं मोतिया रंग की पगड़ी पहने हुए ढोलकी और मंजीरे बजाते हुए नंगे पांव भजन कीर्तन के साथ जयपुर के प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों की परिक्रमा करेंगे। गोपाल जी का रास्ता स्थित गोपाल जी के मंदिर से श्रद्धालु रवाना होकर जौहरी बाजार के प्रत्येक मंदिर पहुंचेंगे।
परिक्रमा में इन मंदिरों के करेंगे दर्शन
जौहरी बाजार के मंदिरों के दर्शन कर सुबह 9 बजे सांगानेरी गेट पहुंचकर वहां से घुलेश्वर महादेव मंदिर, हाथी बाबू का बाग होते हुए नाहरी का नाका स्थित पंचमुखी हनुमान, धूलकोट, गढ़ गणेश, नहर के गणेश जी, धोती वालों की बगीची, बद्रीनारायण जी की डूंगरी, लाल डूंगरी स्थित कल्याण जी, गणेश जी के मंदिर होते हुए गलता पहुंचकर विश्राम करेंगे। प्रत्येक मंदिर में ठाकुर जी के अलग-अलग भजन गाए जाएंगे। इसके बाद घाट के हनुमानजी के दर्शन कर घाट की गुणी के नीचे फतेहचन्द्रमाजी के मंदिर में पहुंचेंगे।
यहां दोपहर 12 बजे बालकों को बहुमूल्य जेवर और रियासतकालीन पोशाक पहनाकर उनका श्रृंगार कर श्री गोपाल जी के स्वरूप में चांदी के तीन विमान (पालकी) में बैठाया जाएगा। राधा कृष्ण, ललिता और विशाखा के स्वरूप की शाम पांच बजे आरती के साथ परिक्रमा पुन: रवाना होगी। स्वरूपों की झांकी के आगे भक्त मंडली कीर्तन और भजन करते हुए शाम 6 बजे सांगानेरी गेट पहुंचेगे। यहां परिक्रमा भव्य शोभा यात्रा का रूप लेगी।
सांगानेरी गेट से हाथी, घोड़े, ऊंट, लवाजमे, शहनाई वादन और बैंड बाजों की मधुर भक्तिमय धुनों को बजाते हुए रंग बिरंगी रोशनी के साथ शोभायात्रा जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, चौड़ा रास्ता की ओर बढ़ेगीद्ध। जगह-जगह गणमान्य व्यक्ति रास्ते में आरती उतारेंगे। इसके बाद रात्रि करीब दस बजे गोपाल जी के रास्ता स्थित निज मंदिर श्री गोपाल जी पहुंचकर परिक्रमा संपन्न होगी।
पांच थानों की पुलिस का रहेगा पहरा:
गोपाल जी के स्वरूपों को कीमती पोशाक और आभूषण धारण होने के कारण परिक्रमा और शोभायात्रा में कोतवाली, माणक चौक, मोती डूंगरी, गलता गेट और ट्रांसपोर्ट नगर की पुलिस बारी-बारी ड्यूटी देती है। ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस और माणक चौक पुलिस का विशेष योगदान रहता है। घुड़सवार पुलिस के अलावा सशस्त्र जवान भी साथ चलते हैं। स्वरूप सरकार जो आभूषण धारण किए रखते हैं वह परिक्रमा से जुड़े परिवारों से आते हैं। परिक्रमा के बाद उन्हें वापस लौटा दिए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि संवत् 1876 में जयपुर दरबार के कुछ नगर सेठों ने नगर परिक्रमा शुरू की थी।