जयपुर। परंपरागत रूप से आयोजित होने वाला ढूंढाड़ की विरासत श्री प्रेमभाया महोत्सव के उपलक्ष में 85 वां त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समारोह (शीतलाष्टमी) 21 मार्च से 23 मार्च 2025 तक युगल कुटीर, जयलाल मुंशी का रास्ता, चांदपोल बाजार, जयपुर में श्री प्रेमभाया मंडल समिति द्वारा मनाया जाएगा।
इस अवसर पर दिनांक 21 मार्च को दिन में श्री प्रेमभाया सरकार का शंखनाद के साथ वैदिक मंत्रोचारण से पंचामृत अभिषेक करा नवीन पोशाक धारण कराई जाएगी व आहृवान पद के साथ बधाई पद गाये जाएंगे तत्पश्चात रात्रि 8 बजे से संपूर्ण रात्रि भक्ति संगीत रहेगा जिसमें देश प्रदेश के प्रमुख गायक , वादक अपनी हाजिरी लगाएंगे। इस अवसर पर मुख्य द्वार पर शहनाई व नंगारा वादन होगा। जयलाल मुंशी के रास्ते में भक्तों द्वारा घर-घर एल ई डी लाइट से रोशनी की गई है।
समिति के अध्यक्ष विजय किशोर शर्मा ने बताया कि इस त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समारोह में 21 से 22 मार्च को रात्रि 8 बजे से संपूर्ण रात्रि भक्ति संगीत रहेगा व 22 , 23 मार्च को दिन में महिला मंडलों द्वारा भक्ति संगीत , 23 मार्च को 7:00 बजे नगर संकीर्तन युगल कुटीर से प्रारंभ होगा जो कि शहर के प्रमुख मार्ग से होता हुआ प्रातः 7:00 बजे सत्संग स्थल पर पहुंचकर महोत्सव संपन्न होगा।
महोत्सव में प्रमुख गायकों में राकेश शर्मा ‘अजान’ प्रकाश दास जी महाराज, विजय भैया, उमा लहरी, कुमार गिर्राज, परवीन मिर्जा, हीना सेन, सन्नी चक्रधारी, अमित नामा, गोपाल सिंह राठौड़, गोपाल सेन, ईश्वर शरण शास्त्री, महेश परमार , तुषार शर्मा, शालिनी शर्मा सहित अन्य गायक व वादक अपनी हाजिरी लगाएंगे।
उल्लेखनीय है कि सन् 1940 में कृष्ण भक्त महाकवि युगलजी ने गीता प्रेस से प्रकाशित कल्याण संस्करण में कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप की छवि को जो कि बंगाला शैली का चित्र स्वरूप है इस स्वरूप को जयपुर की प्रमुख बोली ढूंढाड़ी में श्री प्रेमभाया सरकार नामकरण कर शीतलाष्टमी के दिन ‘ युगल कुटीर ‘ में चित्र सेवा को स्थापित कर त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समारोह की स्थापना की।
भक्त युगलजी नित्य नवीन भजन की रचना कर पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी को सुनाया करते थे यह क्रम जीवन पर्यंत रहा। युगल जी दूणी, टोंक राजमहल में राजवैद्य पद पर नियुक्त हुए वहां भी श्री प्रेमभाया सरकार के चरणों में नित्य नए भजन सुनाने का क्रम रहा वर्ष 1949 में ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी को स्नान करते हुए भजन गा रहे थे कद आवोला कन्हैंया म्हारे द्बार , मैं ठाडी न्हांलू बाठटली , नेह नदी पर रास रच्यौ अण्डै छै यमुना तीर, कृष्ण राधिका एक ज्योति में रहांला जादूगीर , करस्यां यमुना जल में युगल विहार। यह पद गाते हुए जल में स्वयं को प्रभु के अर्पण कर दिए।