जयपुर। श्री रामचंद्र जी मंदिर चांदपोल बाजार में चल रहे सात दिवसीय श्री राम जानकी विवाह महोत्सव सीता स्वयंवर का प्रसंग साकार किया गया ।जिसमें धनुष यज्ञ का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ । इस प्रसंग के लिए काठ का धनुष व बाण विशेष तौर पर तैयार कराया गया। जिसे सोने -चांदी के गोटे से सजाया गया।
श्रीराम ने तोड़ा पिनाग
इस धनुष को मंदिर जगमोहन के बीचों-बीच रखा गया। जिसे ठाकुर श्रीराम जी ने अपने हाथों से तोड़ा। इस धनुष का नाम रामायण में शिव धनुष पिनाग बताया गया है। यह धनुष शिव जी ने परशुराम जी को दिया था। जिसके बाद परशुराम जी ने राजा जनक के पास रखवा दिया। राजा जनक ने यह धनुष सीता स्वयंवर के उपयोग में लिया था।
महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि श्रीराम जानकी विवाह में महोत्सव में जैसे ही श्रीराम जी ने यह धनुष तोड़ा वैसे ही घंटे घडियाल,नगाड़ा,शंक आदि की गर्जना के बीच श्री सीता जी ने उन्हे जय-माला महनाई। इसके बाद जनकपुर से अयोध्या मंगल पत्रिका भेजी गई।
इन पदो का हुआ गायन
धनुष के तोड़ने के साथ ही विशेष पद “लेत चढ़ावत खैंचत गाढ़े, कबहुना लखा देख सब ठाढ़े”
“जिस छन्न मध्य राम धनु तोड़ा, भरे भुवन धुनि घोर कठोरा”। आदि का मुख्य रूप से गायन हुआ।