जयपुर। हरिनाम संकीर्तन परिवार के तत्वावधान में विद्याधरनगर सेक्टर दो के माहेश्वरी समाजोपयोगी भवन उत्सव में हो रही 494 वीं श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को व्यासपीठ से अकिंचन महाराज ने कपिल अवतार, शिव शक्ति चरित्र, जड़ भरत चरित्र की कथा का श्रवण करवाया। कपिल अवतार के प्रसंग में उन्होंने कहा कि सुख और दुख का कारण और कोई नहीं अपना मन ही है।
स्वछंद मन यदि जग में आसक्त रहा तो दुख का कारण बनता है और इस मन को प्रयत्नपूर्वक जगदीश की ओर मोड़ दे तो प्रसन्नता उत्पन्न करता है। शास्त्रों में मन को सुधारने के अनेक उपाय बताए गए हैं। अनियंत्रित मन की अधोगति होती है जो व्यक्ति को पाप कर्म में धकेल देती है। वहीं नियंत्रित मन अनेक चमत्कार उत्पन्न कर देता है। प्रभु के भजन में लगा मन सद्कर्म ही करवाएगा।
जिस व्यक्ति के हाथ में मन की बागडोर नहीं है वह स्वत: ही पतन के गर्त में गिरता है, नीचे गिरने के लिए किसी को कुछ करने की जरुरत नहीं होती। छत का पानी अपने आप ही नीचे आ जाएगा लेकिन नीचे से पानी ऊपर पहुंचाने के लिए यंत्र की जरुरत पड़ती है उसी प्रकार मन को नियंत्रित करने के लिए मंत्र की आवश्यक्ता है।
राधेश्याम माहेश्वरी और चमेली देवी माहेश्वरी की पुण्य स्मृति में आयोजित कथा के प्रारंभ में भागवतजी की आरती उतारी गई। आयोजक ज्ञान प्रकाश चांडक ने बताया कि नौ जून को अजामिल उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष समुद्र मंथन, वामन अवतार की कथा होगी।