जयपुर। श्रमणाचार्य विशुद्ध सागर के शिष्य मुनि समत्व सागर, मुनि शील सागर महाराज ससंघ, गणिनी आर्यिका नंगमति माताजी एवं क्षुल्लिका पदममति माताजी के सानिध्य में तारों की कूट पर सूर्य नगर के श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में 6 दिवसीय श्रीमद् जिनेन्द्र शांतिनाथ, पंचमेरु – नन्दीश्वर जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव का रविवार को घटयात्रा एवं ध्वजारोहण से भव्य आगाज हुआ । इस मौके पर आसपास का वातावरण भक्तिमय हो गया। बी टू बाईपास स्थित मेट्रो एनक्लेव पर बनाई गई हस्तिनापुर नगरी में आयोजित इस महामहोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश पापडीवाल एवं उपाध्यक्ष रितेश छाबड़ा ने बताया कि प्रतिष्ठाचार्य पं. धर्म चन्द शास्त्री एवं सह प्रतिष्ठाचार्य जिनेश भैय्या के निर्देशन में रविवार को प्रातः 7.30 बजे मंदिर जी से श्री जी को पालकी में लेकर पंचकल्याणक स्थल तक बैंड बाजों के साथ विशाल घट यात्रा एवं ध्वज यात्रा निकाली गई । जो विभिन्न मार्गो से होती हुई हस्तिनापुर नगरी पहुची।घट यात्रा में सैकड़ों महिलाएं पीली साड़ी पहने सिर पर मंगल कलश लेकर शामिल हुई। पुरुष नाचते गाते शामिल हुए।
कोषाध्यक्ष सीए नरेन्द्र जैन एवं संयुक्त मंत्री सीए राजन जैन ने बताया कि हस्तिनापुर नगरी में मुनि आर्यिका संघ के सानिध्य में डाॅ राजेश – मंजू जैन छाबड़ा परिवार ने जयकारों के बीच ध्वजारोहण कर महामहोत्सव का आगाज किया । इस मौके पर कैलाश-पुष्पा काला चंदलाई वाले परिवार द्वारा मण्डप का फीता खोल कर उदघाटन किया गया ।
श्री जी को मंच पर विराजमान करने के बाद राजेन्द्र – कमला टोडरका परिवार द्वारा आचार्य शांति सागर एवं आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के चित्र अनावरण तथा ओम प्रकाश, अजय छाबड़ा द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। मनोरमा देवी, मनोज ठोलिया परिवार द्वारा नांदी मंगल कलश स्थापना की गई । सौधर्म इन्द्र नीरज,कुबेर विमल छाबड़ा, महा यज्ञनायक धनेश सेठी, यज्ञनायक ललित दीवान, ईशान इन्द्र रितेश पाटनी,चक्रवर्ती विमल पापडीवाल द्वारा श्री जी के अभिषेक किये।
इस मौके पर धर्म सभा में मुनि समत्व सागर महाराज ने कहा कि बिना उपाय के किसी कार्य की सिद्धि नही होती है और उपाय से पहले लक्ष्य बनाना जरूरी होता है । भगवान के बिना मंदिर की कोई शोभा नहीं है। धार्मिक आयोजनों में देव शास्त्र गुरु का होना जरूरी है। पंचकल्याणक नाटक नहीं है यह वास्तव में विधि विधान और जिन आगम के अनुकूल क्रिया है। क्रिया विधि के पीछे का रहस्य अतिशयकारी होता है।

इससे पूर्व गणिनी आर्यिका नंगमति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि पंचकल्याणक में अपने भावों व परिणामों को निर्मल रखना चाहिए। पंचकल्याणक से सम्यक्तव की प्राप्ति होती है। इस मौके पर समाजश्रेष्ठी प्रवीण चन्द्र छाबड़ा, नाभिराय सोगानी, तारा चन्द चांदवाड, बाबू लाल सोगानी, भारतभूषण जैन, विजय जैन,सुनील जैन, मनोज झांझरी आशीष बैद, मनीष बगडा,सुरेन्द्र हल्दैनिया, विमल बाकलीवाल, ओम प्रकाश कटारिया, अनिल बोहरा सहित दुर्गापुरा, जनकपुरी, चित्रकूट कालोनी, एस एफ एस, गायत्री नगर,सिद्धार्थ नगर, बापूनगर,मानसरोवर, सांगानेर, कीर्तिनगर, वैशाली नगर सहित कई स्थानों के श्रद्धालु बडी संख्या में शामिल हुए।
प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि तत्पश्चात गर्भ कल्याणक पूर्व रुप की क्रियाएं की गई । महिलाओं द्वारा मंदिर वेदी शुद्धि संस्कार, ध्वजा, शिखर कलश शुद्धि संस्कार किये गये।
दोपहर में सभी इन्द्र – इन्द्राणियों का सकलीकरण किया गया। इन्द्र प्रतिष्ठा, मंडल प्रतिष्ठा, मृत्तिका नयन, अंकुरारोपण की क्रियाओं के बाद जाप्यानुष्ठान किये गये। सायंकाल गुरु भक्ति, आरती, शास्त्र प्रवचन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। भेरी ताड़न की क्रियाएं हुई।
मुख्य समन्वयक सुरेश बाकलीवाल एवं समन्वयक धनराज जैन, प्रकाश चन्द जैन ने बताया कि सोमवार 20 जनवरी को गर्भ कल्याणक उत्तर रुप की क्रियाएं होगी। जिसमें प्रातः नित्याभिषेक, शांतिधारा, याग मण्डल विधान पूजा, मुनि श्री के मंगल प्रवचन, दोपहर में शांति हवन, नवग्रह हवन, जल हवन, माता की गोद भराई की जाएगी। सायंकाल इन्द्र दरबार, कुबेर द्वारा रत्न वर्षा,माता की सेवा के बाद सोलह स्वप्न दिखाये जाएगें।
प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक मंगलवार, 21 जनवरी को जन्म कल्याणक मनाया जाएगा । इस मौके पर जन्माभिषेक की विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। पाण्डुक शिला पर तीर्थंकर बालक शांति कुमार के 1008 कलशों से जन्माभिषेक किये जाएंगे। बुधवार 22 जनवरी को तप कल्याणक एवं गुरुवार, 23 जनवरी को केवल ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा। शुक्रवार, 24 जनवरी को मोक्ष कल्याणक महोत्सव के बाद विश्व शांति महायज्ञ एवं रथयात्रा निकाली जाएगी। तत्पश्चात नवीन वेदियों में जिन बिम्बों को विराजमान किया जाएगा।