जयपुर। रोजमर्रा की जिंदगी, काम की भागदौड़ और सेहत का खयाल..कुछ इसी तरह के विषयों पर मंथन हुआ, निष्कर्ष निकला और समाधान की राह प्रशस्त हुई। यह मौका था चौथे एसके वर्ल्ड हेल्थ एंड वेलनेस फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार का। इस मौके पर प्रसिद्ध डॉक्टर्स, अभिनेता राहुल देव और अभिनेत्री मुग्धा गोडसे, लाइफ कोच एन. रघुरामन, योगाचार्य ढाकाराम समेत कॉरपोरेट हाउसेस की जानी मानी हस्तियां मौजूद रहीं, उन्होंने सफलता के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य की महत्ता और उसके लिए किए जानी वाली कोशिशों का भी जिक्र किया और विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों के जरिए जिंदगी को बेहतर और सुखमय बनाने के मंत्र बताएं। इस मौके पर चैस और आर्म रेसलिंग जैसी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई।
कॉरपोरेट हेल्थ एंड वेलनेस अवॉर्ड्स भी प्रदान किए गए। जवाहर सर्किल पर योगाचार्य ढाकाराम के निर्देशन में योग सेशन के साथ दिन की शुरुआत हुई। इधर एंटरटेनमेंट पैराडाइज में दीप प्रज्ज्वलन कर फेस्ट का विधिवत उद्घाटन किया गया। इस दौरान संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा, आयोजन समिति के चेयरमैन अमित अग्रवाल, एसके फाइनेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ राजेंद्र सेतिया, जेएनयू के वाइस चांसलर डॉ. सुधीर भंडारी, एब्डोमिनल कैंसर ट्रस्ट के फाउंडर डॉ. संदीप जैन, जयश्री पेरीवाल ग्रुप ऑफ स्कूल्स की सीएमडी जयश्री पेरीवाल, आईएनए सोलर के एमडी विकास जैन, जयपुर रनर्स क्लब के को फाउंडर रवि गोयनका, योगाचार्य ढाकाराम, इटरनल हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. प्रमिला संजय आदि गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे मौजूद रहे।
‘हार्ट डिजीज से बचने के लिए दिनचर्या पर ध्यान दें युवा’
“हार्ट फेलियर इन युथ” विषय पर आयोजित सत्र में जेएनयू के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि कोविड-19 के बाद युवाओं में हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने जापान को सबसे कम हृदय रोग जोखिम वाला देश बताते हुए वहां की जीवनशैली के महत्व पर जोर दिया। सत्र में हृदय रोग के मुख्य कारणों, लक्षणों और आनुवंशिक प्रभावों पर चर्चा की गई। डॉ. भंडारी ने छाती में दर्द, और पैनक्रिएटिन दर्द को नजरअंदाज न करने की चेतावनी दी और आपात स्थिति में सीपीआर देने और एस्पिरिन दवा देने की सलाह दी।
उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सही तेल (जैसे जैतून तेल, सरसों तेल), कम से कम 6 घंटे की नींद, शराब के सेवन से बचने और नियमित कार्डियक जांच को जरूरी बताया गया। उन्होंने यह भी बताया कि खर्राटे और मधुमेह हृदय रोग के संभावित संकेत हो सकते हैं। खुशी और नशामुक्त जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हुए डॉ. भंडारी ने जागरूकता और सतर्कता बनाए रखने का आह्वान किया। डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि आजादी से पहले देश में औसत आयु 45 वर्ष से अधिक है, ये स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां रखने का परिणाम है कि औसत आयु बढ़कर 70 वर्ष से अधिक हो गयी है। सत्र का संचालन डॉ. प्रमिला संजय ने किया।
‘स्वस्थ जीवन के लिए जागरूकता और अनुशासन जरूरी’
“अवेयरनेस इज पावर” विषय पर आयोजित सत्र में वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन और एब्डोमिनल कैंसर डे के संस्थापक डॉ. संदीप जैन ने स्वास्थ्य, जीवनशैली और कैंसर जागरूकता पर अपनी बात रखी। सत्र का संचालन जयश्री पेरिवाल ने किया। डॉ. जैन ने कहा कि “सबसे बड़ा नशा स्वास्थ्य का है,” और अनुशासित जीवनशैली से ही लंबा और स्वस्थ जीवन संभव है।
सत्र में बच्चों के पारिवारिक समय बिताने के महत्व पर जोर देते हुए कहा गया कि इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। बढ़ते स्क्रीन टाइम और तकनीकी निर्भरता पर चिंता व्यक्त की गई। सही डाइट के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया गया कि भोजन संतुलित और समय पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 90% पेट के कैंसर का इलाज समय पर जांच और उपचार से संभव है। तम्बाकू से दूरी और जागरूक जीवन शैली अपनाने की सलाह दी गई।
डायबिटीज प्रबंधन: संतुलित जीवन शैली और सही डाइट का महत्व
“डायबिटीज रिवर्स हो सकती है” विषय पर आयोजित सत्र में प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. विजय कपूर और ‘रोशनी – स्वस्थ भारत अखंड भारत’ के निदेशक डॉ. सुनील ढंड ने भाग लिया। सत्र का संचालन डॉ. प्रमिला संजय ने किया। सत्र में वेलनेस, स्वस्थ डाइट और डायबिटीज से जुड़े मिथकों पर चर्चा की गई। डॉ. कपूर और डॉ. ढंड ने बताया कि रिफाइंड फूड और जरूरत से ज्यादा खाना डायबिटीज की प्रमुख वजह है।
सही मापदंडों से भोजन करना जरूरी है—एक हाथ फल, एक मुट्ठी अनाज, हथेली जितना नॉन-वेज और अंगूठे के आकार का फैट। उन्होंने डायबिटीज को साइकिल से तुलना करते हुए संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया। यह भी बताया गया कि डायबिटीज सिर्फ मीठा खाने से नहीं होती। मरीजों को तनाव, ओवरईटिंग और कृत्रिम जीवनशैली से बचने की सलाह दी गई। साथ ही प्राकृतिक जीवन और इंटरमिटेंट फास्टिंग को फायदेमंद बताया गया।
अंदरूनी खूबसूरती और स्वास्थ्य पर जोर देना जरूरी:अभिनेता राहुल देव
“ह्यूमन बॉडी रेयर ब्लेसिंग” विषय पर आयोजित सत्र में बॉलीवुड एक्टर और मॉडल राहुल देव ने फिटनेस और हेल्थ के बारे में अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। सत्र का संचालन आरजे ईशान ने किया। राहुल देव ने अपनी फिटनेस का श्रेय अपने पिता को दिया। उन्होंने कहा कि बचपन में हम बहुत एक्टिव होते हैं, लेकिन बड़े होते-होते आलस्य का शिकार हो जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मामले हैं और योग व आयुर्वेद की जगह अब बदलते समय के साथ नई आदतें आ गई हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें छोटे प्रयास करते रहना चाहिए और मेहनती बने रहना चाहिए। राहुल देव ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर लोग अपनी असली पहचान छुपा रहे हैं और खूबसूरत तस्वीरों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, लेकिन अंदरूनी खूबसूरती और स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। इसके साथ ही, उन्होंने खुद से कनेक्ट होने और ध्यान (मेडिटेशन) की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “पहली बार दिवाली, क्रिसमस और विंटर फेस्ट के अलावा वैलनेस एंड फिटनेस फेस्ट सुना है,” और बताया कि हर साल नया संकल्प (न्यू ईयर रेजोल्यूशन) लेना जरूरी है, लेकिन उस संकल्प को पूरा करने के लिए मेहनत और निरंतरता भी जरूरी है।
‘जब हो तनाव, बचपन में जाओ’
दी साइंस ऑफ लाइफ: एंब्रेसिंग आयुर्वेदा फॉर मॉडर्न लिविंग सेशन में अतुल जैन ‘एहसास’ से बात करते हुए डॉ. हरिराम रिणवां ने कहा कि जब भी तनाव हो तो उसका सबसे सटीक इलाज है कि आप अपने बचपन में चले जाओ। अपने आप से प्रेम करके आप अपने स्ट्रेस को दूर भगा सकते हैं। एक सवाल के जवाब में डॉ. रिणवां ने कहा कि आयुर्वेद केवल ‘क्या करना’ पर काम नहीं करता, पूरा लाभ चाहिए तो ‘क्या नहीं करना’ भी ध्यान रखना पड़ेगा। इस सेशन में मिलेट्स, पंचकर्म और आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग के तरीकों पर बात की गई।
‘फिजिकल के साथ मेंटल एक्सरसाइज भी है जरूरी’
मेंटल वेलनेस इन कॉरपोरेट सेशन में कॉरपोरेट कंपनियां किस तरह कार्य कर रही हैं और मेंटल वेलनेस कितनी जरूरी है, इसे लेकर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। डाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के एमडी अजय डाटा ने कहा कि जिस काम को करने में खुशी महसूस हो, वो कभी स्ट्रेस का कारण नहीं बनती है। हमारे यहां काम शुरू होने से ठीक पहले मेडिटेशन किया जाता है, जो मेंटल वेलनेस के लिए बहुत कारगर साबित हुआ है। चेयर एक्सरसाइज करते हैं। सेशन में क्यूडिग्रीज के को फाउंडर सीबी राजेश ने बताया कि फिजिकल एक्सरसाइज के साथ ही मेंटर एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है। हम एम्प्लाई की एफिशिएंसी के हिसाब से ही वर्क देेते हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे की प्रिंसिपल फाइनेंस एडवाइजर गीतिका पांडे ने कहा कि रेलवे में लोको पायलट बहुत हार्ड करते हैं, ऐसे में स्ट्रेस होना लाजमी होता है। हमारी कोशिश रहती हैं कि इसे दूर करने के लिए हम उनकी फैमिली को इन्वोल्व करें। हम उन्हें बताते हैं कि वे कितनी मेहनत कर रहे हैं। परिवारों के इन्वॉल्व होने से उनका तनाव काफी कम हो जाता है। जयपुर रनर्स के को फाउंडर रवि गोयनका ने कहा कि हमें सोच बदलने की जरूरत है। इसके लिए शारीरिक के साथ मानसिक व आध्यात्मिक प्रैक्टिस करने की भी जरूरत है। सेशन को डॉ. प्रमिला संजय ने मॉडरेट किया।
‘अपने काम को एंजॉय करें, बैलेंस बनाए रखें’
अपने काम और जीवन में संतुलन बनाए रखना आसान नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। वर्क लाइफ बैलेंस पर बात करते हुए एक्सपर्ट्स ने अपने विचार रखें। एचआर एक्सपर्ट सोनिका तलवार ने कहा कि कोविड के बाद बहुत बदलाव आए हैं। नई जनरेशन के लिए नई पॉलिसी भी बनाई गई हैं। वे काम के वक्त काम और वीकेंड पर रिलेक्स करना चाहते हैं। प्रथम की एवीपी-एचआर सोनल उपाध्याय ने कहा कि हमने कोविड से पहले ही कुछ बदलाव कर दिए थे। हमारा प्रयास रहा है कि वर्क कल्चर इतना फ्लेक्सिबल हो कि एम्प्लाइज अपने काम को एंजॉय कर सके। हम अपने वर्क प्लेस को हैप्पीनेस प्लेस बनाने पर काम करते हैँ।
योग गुरु ढाकाराम ने कहा कि योग केन चेंज एवरीवन। जब काम करना ही है तो खुशी खुशी करें, रोते-रोते करेंगे तो भी करना है। ऐसे में खुश होकर करेंगे तो प्रोडक्टिविटी भी अच्छी रहेगी। प्रमोशन का हैप्पीनेस से कोई लेना देना नहीं है। मन को खुश और स्थिर रखने के लिए प्राणायाम बहुत ही मददगार साबित होता है। नारायणा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एचआर निखिल माथुर ने कहा कि मैं हॉस्पिटल इंडस्ट्री से जुड़ा हूं। हमारी कोशिश रहती है कि काम के बीच में जहां भी समय मिले फन कर लेना चाहिेए। इससे स्ट्रेस दूर करके आगे के काम के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा करना तनाव को कम करता है। सेशन को निपुण वाधवा ने मॉडरेट किया।
केवल प्रॉफिट के बारे में नहीं कर्मचारी की हैप्पीनेस के बारे में सोचें: मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन
कर्मचारी अगर नेगेटिव एनर्जी के साथ घर जाता है तो वह अगले दिन नेगेटिव एनर्जी के साथ ही ऑफिस आता है। यही नेगेटिव एनर्जी वह कर्मचारी कंपनी में नए आने वाले कर्मचारियों में ट्रांसफर करता है और यह लूप लगातार चलता रहता है। यह एम्प्लॉयर की जिम्मेदारी है कि उसका कर्मचारी नेगेटिव नहीं बल्कि पॉजिटिव एनर्जी के साथ ऑफिस छोड़े। यह कहना था मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन का। वे कॉर्पोरेट लाइफ में वेलनेस के फंडे विषय पर बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अगर आप सीईओ हैं, एचआर मैनेजर हैं या किसी दूसरे बड़े पद पर हैं तो हैप्पीनेस का वातावरण बनाएं। अगर आप सिर्फ प्रॉफिट के बारे में ना सोचकर शिद्दत से चाहेंगे कि आपका कर्मचारी भी पैसा बनाए तो कंपनी भी निश्चित रूप से पैसा बनाएगी। रघुरामन ने सफेद बगुले और मगरमच्छ की कहानी के माध्यम से एम्प्लॉयर-एम्प्लॉई रिश्ते की बात की। साथ ही लॉ ऑफ बिलीफ की बात करते हुए कहा कि डर और नफरत जहर की तरह हैं जो आपको ही नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी किसी बाहरी के सुपुर्द मत कीजिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बदले हुए समय में कर्मचारियों को 45 की उम्र में रिटायरमेंट का लक्ष्य रखते हुए इससे कम उम्र में ही बड़े प्रोफेशनल निर्णय लेने होंगे।