जयपुर। पावन तीर्थ श्री अमरापुर स्थान में पवित्र श्रावण मास के अंर्तगत प्रतिदन प्रात 6 बजकर 6 मिनट से पूरे 24 मिनट श्री अमरापुर मंदिर में स्थित री अमरेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का संतो द्वारा प्रतिदिन बिल्व पत्र,गंगा जल,गौ दुग्ध से अभिषेक कर पूजा पाठ ,अर्चन ,आरती की जा रही है।
इसलिए पड़ा भोले बाबा का नाम नीलकंठ
संत श्री मोनूराम महाराज ने बताया कि पवित्र श्रावण मास में भोले बाबा की पूजा-अर्चना करने से भोले बाबा प्रसन्न होकर सर्व मनोरथ सिद्ध करते है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। उन्होने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था,तब उस मंथन से 14 रत्न निकले । उन 14 रत्नों में से एक हलाहल विष भी था। जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और इसी कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा।
जल के एक लोटे से प्रसन्न हो जाते है भोले नाथ
बताया जाता है कि त्रि देव में भगवान शिव ही ऐसे देवता है जो जल के एक लोटे से प्रसन्न हो जाते है श्रावण मास में भोले बाबा का दुग्ध्स अभिषेक करना अति उत्तम होता है। प्रत्येक सोमवार एवं प्रदोष पर भोले बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाता है। अमरेश्वर महादेव मंदिर में सैकड़ो भक्त मंदिर में आकर बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे है।