जयपुर। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को गुप्त नवरात्र शुरू हुए। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर दुर्गा सप्तशती के पाठ हुए। तंत्र विद्या से जुड़े देवी मंदिरों में विशेष अनुष्ठान प्रारंभ हुए। आमेर के शिला माता, मनसा माता, घाटगेट श्मशान के काली माता, दुर्गापुरा के दुर्गा माता मंदिर में घट स्थापना कर देवी की आराधना की गई। श्री खोले के हनुमान मंदिर की पहाड़ी पर स्थित प्राचीन माता वैष्णो देवी मंदिर में सुबह घट स्थापना कर दुर्गा सप्तशती के पाठ आरंभ किए। श्री नरवर आश्रम सेवा समिति के महामंत्री बृजमोहन शर्मा ने बताया कि श्रद्धालु प्रतिदिन विशेष झांकियों के दर्शन कर सकेंगे।
गलता गेट स्थित मंदिर श्री गीता गायत्री जी में पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में सुबह घट स्थापना की गई। मंदिर प्रवक्ता नीतीश चैतन्य चतुर्वेदी ने बताया कि मां सिद्धिदात्री वैष्णो देवी का पंचामृत, दिव्य औषधि और विभिन्न तीर्थ जल, रसों से अभिषेक कर नीलांबर वस्त्र धारण कराए गए। फूलों का श्रंृगार कर घंटे-घडिय़ाल बजाकर दुर्गा सप्तशती पाठ और महा आरती की गई।
तंत्र साधनाओं का है खास महत्व:
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि गुप्त नवरात्रा साधक काली, माता तारादेवी, माता त्रिपुरा सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, मां बग्लामुखी, माता धूमावती, माता मातंगी, माता कमला देवी एवं माता त्रिपुरा भैरवी का पूजन करेंगे। प्रत्यक्ष नवरात्रा में सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है, वही गुप्त में मानसिक इच्छाओं की पूर्ति होती है। गौड़ ने बताया कि गुप्त नवरात्र में गुप्त विधाओं, तंत्र साधनाओं का महत्व बताया गया है, इसी कारण इसे गुप्त नवरात्रा कहते हैं।