जयपुर। मन में उल्लास, चेहरे पर हर्ष और पीतांबर पहन सितार पर राग छेड़ सभी को बसंत के रंग में रंगते कलाकार। कुछ ऐसा ही नज़ारा दिखा मंगलवार को जवाहर कला केन्द्र में। मौका था केन्द्र की ओर से आयोजित बसंत पर्व के दूसरे दिन का। बैरागी बसंत में बसंत से जुड़े गीत और कविताओं ने सभी को लुभाया। वादन प्रस्तुति में बांसुरी और तबले की संगत के साथ 30 से अधिक सितारों से निकली सुरीली धुनों ने दिल में ऐसी झंकार पैदा की जिसने रोम-रोम को बसंतमय कर दिया। इस दौरान जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत और राजस्थान विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की अध्यक्ष डॉ. वंदना कल्ला समेत बड़ी संख्या में कला रसिक मौजूद रहे।
गीतों से बैरागी बसंत का बखान
बैरागी बसंत कार्यक्रम में कलाकारों ने गीत, भजनों और कविताओं के जरिए बसंत का बखान किया। प्रस्तुति की संकल्पना करने के साथ साहित्यकार अंशु हर्ष ने मंच संचालन भी किया। एंजेल्स म्यूजिक एकेडमी के कलाकारों ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद ‘रुत आ गयी रे’ बसंत का स्वागत किया। एक-एक कर अंशु हर्ष बसंत से जुड़े कथानक श्रोताओं के समक्ष रखती गयी और कलाकार इनसे जुड़े गीतों से समां बांधने लगे। शृंगार रस के साथ शुरू हुई बासंती बहार भक्ति रस के साथ आगे बढ़ी। अतुल सिंह ने सब कुछ सरकार तुम्ही से है.. और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी.. गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। गायिका शिखा माथुर ने ‘ओ पालन हारे’, गायिका राधिका तोतला ने ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ गाकर दाद बटोरी। ईशान जैन ने भी भजन प्रस्तुति दी। तबले पर नरेंद्र सिंह और की—बोर्ड पर शान ने संगत की।
सितार, बांसुरी और तबला…सब पर बजी बासंती राग
जवाहर कला केन्द्र की ओर से स्ट्रिंग म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वर्कशॉप का आयोजन किया गया था। इसमें 35 प्रतिभागियों ने पं. चंद्र मोहन भट्ट के निर्देशन में सितार की बारीकियां सीखी। कार्यशाला के 30 प्रतिभागियों ने मंगलवार को पं. चंद्र मोहन भट्ट के साथ मंच साझा कर गुरु से सीखे गुर साकार किए। एक साथ सभी सितारों से राग बसंत में निकली धुन ने मां शारदे को नमन किया। इसके बाद प्रथम पूज्य गणपति की वंदना की गयी। कलाकारों ने सितार वादन के साथ गायन कर प्रस्तुति को और भी मधुर बना दिया। माहौल में मिठास घोलने के लिए पंडित जे. गांधी ने बांसुरी थामी और शृंगार रस में डूबी स्वर लहरियां रंगायन में बिखेर दी।
सितार वादकों ने भगवती स्तोत्र बजाकर शक्ति की अराधना। कलाकारों ने तराना, राग बहार, मेवाड़ी गीत और सूफी कलाम ‘छाप तिलक’ की धुनों के साथ सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। सितार के तारों से निकली तान थमने पर रंगायन में तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज सुनाई दी और इसी के साथ जोरदार स्वागत किया गया ऋतुराज बसंत का।
गौरतलब है कि बसंत पर्व के अंतिम दिन बुधवार को वरिष्ठ कथक नृत्यांगना रेखा ठाकर के निर्देशन में कथक की प्रस्तुति दी जाएगी। रंगायन में शाम 6:30 बजे होने वाली इस सामूहिक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति में बसंत के सौंदर्य को दर्शाया जाएगा।