November 21, 2024, 6:13 pm
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मल्टीपल डिसऑर्डर की बुजुर्ग महिला का किया सफल ऑपरेशन

जयपुर। मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर में हाल ही में अत्यंत दुर्लभ ऑपरेशन करके पित्त की थैली व पथरी का ऑपरेशन किया गया । जानकारी के अनुसार 72 साल की मरीज़ सरला देवी मयेस्थेनिया ग्ग्रेविस नाम की मांस पेशियों की कमजोरी से ग्रसित है। जिसकी उन्हें कई सालों से दवाई चल रही है। उन्हें कई सालों से पित्त की थैली की पथरी भी थी। किंतु विभिन्न चिकित्सीय विकारों वाले रोगी में एनेस्थीसिया चुनौतीपूर्ण होता है। इन्हें कई दवाइयों से एलर्जी भी थी। कई जगह दिखाने के बाद डॉक्टर्स इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को टालते गये। इन्होंने मणिपाल हॉस्पिटल में जीआई एचपीबी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विभाग में डॉ. मोनिका गुप्ता से राय ली।

फिजिशियन डॉ . विपिन जैन, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.श्रवण चौधरी व एनेस्थेटिस्ट डॉ. सुनीत सक्सेना की टीम ने ये बताया कि यह ऑपरेशन- बेहोशी के नज़रिए से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण मामला हैं । लेकिन अगर पूर्ण तैयारी व साइंटिफिक तरीक़े से बेहोशी दी जाये तो ऑपरेशन सफल हो सकता है ।

मुख्य चिंता यह थी कि एक बार मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा देने के बाद बेहोशी से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है तथा कठिनाई को बढ़ाने के लिए रोगी को बेहोशी की कई दवाओं से एलर्जी भी थी।
प्रारंभ में ईआरसीपी डॉ. शंकर लाल (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) द्वारा मणिपाल हॉस्पिटल में ही की गई । अब पित्ताशय की पथरी के ऑपरेशन करके इन्हें बीमारी से निजात दिलाना था ।

पित्त की थैली थिक वाल थी व पथरी बड़ी थी। डॉ. मोनिका गुप्ता ने एक बार की एनेस्थीसिया खुराक में ही ऑपरेशन करके एनेस्थीसिया ज़्यादा ना देना पड़े ये सुनिश्चित किया। इस केस में डॉ. मोनिका गुप्ता व डॉ. सोमेष गोयल को ऑपरेशन करने में 1 घंटा लगा और इसे डॉ.सुनीत सक्सेना की टीम ने सबसे सुरक्षित एनेस्थीसिया के साथ किया।

सर्जिकल अभ्यास में मायस्थेनिया ग्रेविस का मामला सर्जन और एनेस्थेटिस्ट दोनों के लिए एक असाधारण मामला है डॉक्टरों की सूझ बूझ से यह सुरक्षित और सफलतापूर्वक सर्जरी हो सकी। अब महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ है उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया है। महिला अब दोबारा से हॉस्पिटल में दिखाने आई थी जिसमे महिला ने डॉक्टर्स की टीम व मणिपाल हॉस्पिटल का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर हॉस्पिटल के डायरेक्टर रंजन ठाकुर ने बताया की अनुभवी डॉक्टर्स व अत्याधुनिक उपकरणों के द्वारा यह संभव हो पाया है। जिसके लिए में सभी चिकित्सकों का बधाई देते है।

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