जयपुर । मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के डॉक्टरों ने 4 वर्षीय डायमंड ब्लैकफन एनीमिया से झूझ रही बच्ची युक्ति का सफलतापूर्वक बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया। अजमेर निवासी बेबी युक्ति को एक माह की उम्र में ही गंभीर रूप से एनीमिया की होने पर एक दुर्लभ बोन मैरो फेलियर सिंड्रोम की बीमारी डायमंड ब्लैकफेन एनीमिया का निदान हुआ उसके इलाज के लिए एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी। इस बीमारी में बच्चे के शरीर में खून नहीं बनता है एवं बच्चे को जीवित रहने के लिए लगातार खून चढ़वाने की जरूरत होती है।
एक पूर्ण 10/10 एचएलए मैच उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर के डॉ राहुल शर्मा,कंसलटेंट,पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट ऑन्कोलॉजिस्ट एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन की सलाह पर युक्ति के परिवार ने 5/10 एचएलए मैच वाले युक्ति के पिता साभा सिंह से हैप्पी आईडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने का निर्णय लिया। युक्ति का हैप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट T-cell depletion तकनीक द्वारा डॉ राहुल शर्मा, तथा उनकी चिकित्सा टीम द्वारा किया गया और संक्रमण और उपचार के साइड इफेक्ट जैसे चुनौतियों के बावजूद,उसके शरीर ने धीरे धीरे उसके पिता से लिए गए नए स्टेम सेल को स्वीकार कर लिया, जिससे उसके रक्त की गिनती और ताकत में सुधार हुआ।
एक काइमेरिज्म रिपोर्ट ने युक्ति के रक्त में 100 प्रतिशत डोनर डीएनए की पुष्टि की, जो की बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया की सफलता को दर्शाता है। युक्ति की कहानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट की महत्वपूर्णता को उजागर करती है और आशा और पुनः प्राप्ति की प्रेरणा देती है।जिन बीमारी में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है तथा पूर्ण 10/10 एचएलए मैच डोनर उपलब्ध नहीं है। उस स्थिति में उन्नत तकनीक से किए गए 5/10 एचएलए बोन मैरो ट्रांसप्लांट से उपचार संभव है जिसमें ग्राफ्ट बनाम होस्ट रोग नामक जटिलता की संभावना काफी कम हो जाती है तथा नतीजे काफ़ी अच्छे होते हैं।