जयपुर। नेटथियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में सुर,ताल,भाव कार्यक्रम में गीत, राजस्थानी संगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति ने ऐसा रंग जमाया के दर्शक वाह वाह कर उठे। नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू बताया की सुप्रसिद्ध नृत्याचार्य पं. कन्हैया लाल की चौथी पीढ़ी के कलाकार आयुषी कावा ने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश श्लोक वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ की ।
उसके बाद उन्होंने राजस्थानी गीत ‘लड़ली लूमा झूमा म्हारो गोरबंद नखरालो’ और लोक भजन ‘रूणि चेरा धनिया अजमाल जी रा कवरा, म्हारो बेड़ो लगाय दीजो बेड़ों पार* सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया और अंत में दिव्यांशी कावा सुप्रसिद्ध गीत ‘आओ जी आओ म्हारा हिवड़े का पावणा तारा छाई रात थाने आया सरसी’ और अलीशा कंवर ने ‘नाचे गोरी बाजे रे रंगीला चंग रसिया और बजाओ चग गोरी नाचेली* पर भावपूर्ण लोक नृत्य से सभी को मोहित किया।
यह कार्यक्रम कथक गुरु पं. राजेंद्र राव की परिकल्पना पर आधारित रहा । इनके साथ हारमोनियम पर जयकरण कावा, तबला तेजकरण कावा और मजीरे पर ओम कावा की शानदार संगत ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां दी । कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी, कैमरा मनोज स्वामी, साउंड तपेश शर्मा, मंच सज्जा जीवितेश एवं अंकित शर्मा नोनू का रहा ।