जयपुर। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तेईस मई से ज्येष्ठ पूर्णिमा के बारह दिन ठाकुरजी को जल विहार कराया जाएगा। रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से ठाकुर जी को शीतलता प्रदान की जाएगी। इस दौरान ठाकुरजी को सूती धोती धारण कराई जाएगी।
जलयात्रा के दौरान तरबूज, आम, जामुन, लीची, फालसे सहित अन्य ऋतु फल अर्पित किए जाएंगे। वहीं, खस और गुलाब के शरबत का भी भोग लगाया जाएगा। ठाकुर जी को दक्षिण भारत से मंगवाए गए चंदन का लेप कर रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की जाएगी। ठाकुरजी को ये सेवा 22 जून ज्येष्ठाभिषेक तक की जाएगी।
मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि पानी की बचत का संदेश देते हुए श्रीजी को 15 मिनट ही जल यात्रा कराई जाएगी। दोनों एकादशी को जल यात्रा उत्सव शाम पांच से सवा पांच बजे तक तथा अन्य तिथियों को दोपहर साढ़े बारह से पौने एक बजे तक होगा।
गौरतलब है कि कुछ साल पूर्व तक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से एक महीने तक जलविहार की झांकी होती थी, जिसमें एक घंटे भगवान को जलविहार कराया जाता था। लेकिन अब भक्तों को पानी बचाने का संदेश देते हुए विशेष तिथि और उत्सव पर ही जलविहार की झांकी सजेगी। इसका समय भी एकादशी और ज्येष्ठाभिषेक के अलावा महज 15 मिनट निर्धारित किया गया है।
दोपहर 12.30 से 12.45 बजे तक ठाकुरजी की जल यात्रा निकाली जाएगी। ठाकुर जी के जल यात्रा उत्सव का जल मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान की ओर छोटे नाले से निकलता है। लोग नाले के नीचे बैठकर स्नान करते हैं और इस जल को बोतल में भरकर घर ले जाते हैं।