जयपुर। छोटीकाशी के विभिन्न श्रीनाथ जी मंदिरों में महाप्रभु वल्लभाचार्य के सुपुत्र गुसाईं विठ्ठलनाथ जी का 510वां प्राकट्योत्सव जलेबी उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान यमुना पूजन, दीपोत्सव, तिलकोत्सव, पालना, कुनवारा और रजत बंगला दर्शन आदि आयोजन होंगे। पौष माह के शुरू होते ही एक जनवरी से राधावल्लभ मंदिरों में खिचड़ी उत्सव का शुभारंभ होगा। यह 42 दिन तक चलेगा। खास बात यह है कि इसमें श्रीकृष्ण के छद्म (छलिया) रूपों के दर्शन कराए जाएंगे।
माना जाता है कि श्रीकृष्ण राधा-रानी से मिलने जाते थे, तब वे कई बार उन्हें रिझाने के लिए छद्म रुप धारण करते थे। उनके इन्ही स्वरूपों और उनसे जुड़ी लीलाओं की झांकियां सजाई जाएंगी। उनका जैसा रुप रहेगा, श्रृंगार भी वैसा ही किया जाएगा। इस दौरान कभी उनके मनिहारी, पवनिहारिन, कसेरा, गोपेश्वर तो कभी ग्वाल आदि 42 रूपों के दर्शन कराए जाएंगे।
भगवान जिस स्वरूप में होते है, उनकी झांकी में उसी से संबंधित उपकरण रखे जाते हैं। इस बार भी उनके सांवरिया सेठ, माखन चोरी, ग्वाला, चरवाहा, पनिहारिन, नानी का मामेरा, काली कंबली, आदि लीला प्रसंगों की मनमोहक झांकियां सजाई जाएंगी। श्रीकृष्ण के करीब 42 छलिया रूप बताए गए हैं। खिचड़ी उत्सव मे हर दिन भगवान के एक नए रूप की झांकी सजेगी।
मटकियों में लगेगा भोग:
बीस दिसंबर को मंदिर में यमुना पूजन के साथ गुसाईं विठ्ठलनाथ जी का प्रकटोत्सव प्रारंभ होगा। यमुना जी को विविध प्रकार के भोग लगाने के बाद महाआरती की जाएगी। 21 दिसंबर की शाम दीपोत्सव कीर्तन होंगे। 22 दिसंबर को कुनवारा होगा। अन्नकूट की तरह मटकियों में भगवान की भोग सामग्री रखी जाएगी। 23 दिसंबर को पालना एवं बधाई गीत भजन होंगे। समापन पर 24 को गुसाई जी के तिलकोत्सव पर रजत बंगले में विराजमान कर जलेबी का भोग लगाया जाएगा।