जयपुर। वर्षों से जैन समाज भारत देश का नाम देश में ही नहीं अपितु पूरे विश्व भर में रोशन करता आ रहा है। आजादी के समय से ही जैन समाज को अल्पसंख्यक होने का दर्जा दिया गया है जो कि वास्तव में सही भी है। क्योंकि जैन समाज देश की आबादी में इकाई के अंक में परसेंटेज रखता है। लेकिन आज तक कांग्रेस सरकार की नीतियां रही कि उसके तहत अल्पसंख्यक आयोग तो बनाए गए। लेकिन कभी भी कांग्रेस सरकार द्वारा या बीजेपी सरकार द्वारा किसी जैन बंधु को अल्पसंख्यक आयोग में किसी भी प्रकार का प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया।
जिसके कारण जो जैन बंधु अल्पसंख्यक है और साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। उनके लिए किसी प्रकार की कोई भी योजना नहीं बनाई गई। अल्पसंख्यकों के विद्यालयों में दिए जाने वाला अनुदान भी कभी भी जैन समाज के विद्यालयों में नहीं दिया गया। साथ ही और कई प्रकार की सुविधा जो सरकार के द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जाती है, जैन समाज को नहीं दी गई।
दिगम्बर जैन महासमिति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल जैन ने बताया की जैन समाज को राजनीति या सरकारों में किसी प्रकार का कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। जो कि जैन समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है । आज की तारीख में जैन समाज नाम के लिए अल्पसंख्यक है, सरकार की सुविधा एक कथित समाज को ही दी जा रही है।
उन्होने बताया कि जैन समाज ने भाजपा की सरकार बनाने के लिए सभी प्रकार से एकजुट होकर भाजपा को समर्थन दिया है। जिससे भजनलाल मुख्यमंत्री बने हैं राजस्थान में और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। भारत देश के संपूर्ण जैन समाज की तरफ से राजस्थान सरकार के साथ ही भारत सरकार से भी मांग करता है कि जो भी सुविधा एक अल्पसंख्यक समाज को दी जा रही है।
वह जैन समाज को दी जाए,साथ ही अल्पसंख्यक आयोग व अन्य अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बनाई गई सरकारी संस्थानों में जैन समाज का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। जब ही जैन समाज का कल्याण संभव हो पाएगा। ऐसा नहीं है कि सभी जैन लोग आर्थिक रूप से समृद्ध है। जैन समाज में भी गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले बीपीएल कई है। यह एक अलग बात है कि यह संख्या अन्य समाजों की तुलना में बहुत कम है। उन सभी जैन भाइयों का कल्याण करने के लिए जैन समाज को सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जाए।
डॉक्टर निर्मल जैन ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल से ही निवेदन किया है कि वह जैन समाज का प्रतिनिधित्व सरकार में सुनिश्चित करें । नहीं तो आने वाले भविष्य में संपूर्ण जैन समाज इसके लिए मौन आंदोलन करेगा।