जयपुर। पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती हैं। करवाचौथ के 4 दिन बाद अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता हैं । इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर गुरुवार को रखा जाएगा। इसमें तारों को अर्घ्य देकर माताएं व्रत खोलती हैं। इस दिन माताएं निर्जला व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं।
आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि अहोई अष्टमी के दिन गुरु पुष्य योग,सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और साध्य योग बन रहा हैं। अहोई अष्टमी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5:42 बजे से रात्रि 7:18 बजे तक रहेगा।
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय रात्रि 11:55 मिनट पर होगा। अहोई अष्टमी की एक प्राचीन कथानुसार – जिसमें एक माता अपने सात बेटों की मृत्यु के बाद आठवें बेटे की रक्षा के लिए अहोई माता की पूजा करती है। अहोई माता प्रसन्न होती हैं और माता के बेटे को दीर्घायु प्रदान करती हैं।