जयपुर। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य अर्हं योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में मानसरोवर मीरा मार्ग के श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में बुधवार 13 से 17 नवम्बर तक होने वाले पांच दिवसीय श्रीमद् जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का बुधवार को घट यात्रा एवं ध्वजारोहण से भव्य आगाज हुआ । इस मौके पर आसपास का वातावरण भक्तिमय हो उठा। वही गुरुवार को जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा ।इस मौके पर जन्म कल्याणक की विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी और पाण्डुक शिला पर 1008 कलशों से तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक होगा।
अध्यक्ष सुशील पहाड़िया एवं मंत्री राजेन्द्र सेठी ने बताया कि महामहोत्सव के अन्तर्गत बुधवार 13 नवम्बर को घटयात्रा एवं ध्वजारोहण से पंच कल्याणक महोत्सव का मानसरोवर के गोखले मार्ग स्थित सैक्टर- 9 के सामुदायिक केन्द्र पर आगाज हुआ। इसी दिन गर्भ कल्याणक की क्रियाएं हुई।
प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक पं. धीरज शास्त्री के निर्देशन में आयोजित इस महोत्सव का ध्वजारोहण समाजश्रेष्ठी नन्द किशोर – शांता देवी, प्रमोद – नीना एवं सुनील – निशा पहाड़िया परिवार ने किया । मंगल कलश की स्थापना डी सी जैन – शकुन जैन, महक – निधि जैन श्याम नगर वालों ने की। मंडप का उदघाटन समाजश्रेष्ठी शीतल – निर्मला कटारिया ने किया । सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा के बाद भगवान के माता-पिता पदम कुमार – शशि जैन, सौधर्म इन्द्र महेश – अनिला बाकलीवाल, कुबेर इन्द्र सुभाष – मीना अजमेरा एवं महायज्ञनायक सुशील – निर्मला पहाड़िया के नेतृत्व में अष्ट द्रव्य से याग मण्डल विधान पूजा की गई ।
इससे पूर्व प्रातः साढ़े 6 से देव आज्ञा, गुरु आज्ञा आचार्य निमंत्रण, घट पूजन के बाद मंदिर से विशाल घटयात्रा निकाली गई जो विभिन्न मार्गों से होती हुई गोखले मार्ग स्थित कार्यक्रम स्थल पर पहुंची। घटयात्रा में हजारों महिलाएं सिर पर कलश लेकर शामिल हुई। घट यात्रा के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद ध्वजारोहण, मंडप उदघाटन एवं मंगल कलश स्थापना की क्रियाएं हुई । प्रातः 9 बजे मुनि प्रणम्य सागर महाराज की मंगल देशना हुई जिसमें मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने पाषाण से भगवान बनने की पूरी प्रक्रिया पर प्रकाश डाला एवं पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की महिमा बताई।
उपाध्यक्ष तेज करण चौधरी के मुताबिक दोपहर 12 बजे से गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाऐं की गई। दोपहर 3 बजे तीर्थंकर माता की सूखे फलों से जयकारों के बीच नाचते गाते गोद भराई का विशाल आयोजन किया गया। सायं 6 बजे से आचार्य भक्ति के बाद संगीतमय महाआरती की गई। रात्रि में सौधर्म इंद्र महाराज का दरबार लगा जिसमें विभिन्न देशों के राजा महाराजा शामिल हुए। अन्त में सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए।