जयपुर। एमएनआईटी परिसर में घुसे एक मादा लेपर्ड रानी फीमेल का रविवार को वन विभाग की टीम ने सुरक्षित पिंजरे में पकड़ा और नाहरगढ़ अभ्यारण में छोड़ दिया। रेंजर झालाना देवेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि पिछले डेढ साल से रानी फिमेल नाम की लेपर्ड अपनी फैमिली के साथ यहां की पहाड़ी में रह रही थी। वन विभाग की टीम पिछले डेढ़ साल से इसको कैद करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पा रही थी।
एमएनआईटी में 18 सितम्बर को उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इसे यहां से शिफ्ट करवाने को कहा था। इसके साथ ही यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट को खतरा था। इसके बाद यहां मॉनिटरिंग तेज कर दी गई। वन विभाग से चार-चार लोगों की टीमें बनी हुई थी। इसके साथ यहां आठ ट्रैप कैमरे और छह पिंजरे लगाकर इन्हें रेस्क्यू करने का प्रयास किया जा रहा था। चार सितंबर को इसके भाई सात स्टार नाम के लेपर्ड का रेस्क्यू किया था।
रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग की टीम ने तत्परता और कुशलता से काम किया। जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि या वन्य जीव को नुकसान नहीं हुआ। इसमें लेपर्ड को बिना ट्रेंकुलाइज किए रेस्क्यू किया गया है। यह सबसे बड़ा टास्क होता है। लेकिन टीम ने सावधानी पूर्वक इसे पकड़कर नाहरगढ़ के जंगलों में छोड़ दिया। इसी स्थान से पहले भी चार सितंबर को एक लेपर्ड को पकड़ा गया था।
डीएफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर, रेंजर जगदीश शर्मा, सहायक वनपाल कृष्ण कुमार मीणा, राजेंद्र सिंह समेत वन विभाग की टीम लगातार एमएनआईटी में मॉनिटरिंग कर रही थी। इसी बीच भोजन के लालच में पैंथर पिंजरे में कैद हो गया। पिंजरे में कैद हुए पैंथर को नाहरगढ़ जंगल में रिलीज कर दिया गया है।