जयपुर। ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देव जी के सत्संग भवन में शुक्रवार को मंदिर महंत अंजन कुमार गास्वामी के सान्निध्य में नानी बाई रो कथा का शुभारंभ हुआ। अशोक गढ़वाल, जितेंद्र गढ़वाल, गिर्राज गढ़वाल , मदन मोहन सैनी, श्रवण चौहान, मोहनलाल सैनी, सागर मावर सहित अन्य ने व्यासपीठ की आरती उतारी। व्यासपीठ से कोलकाता के श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। जहां कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है।
भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों के मान-सम्मान रक्षा करने स्वयं आते हैं। कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि नरसीजी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनके भाई-भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कडक़ था। एक संत की कृपा से नरसी की आवाज गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया।
नरसी का विवाह हुआ लेकिन छोटी उम्र में पत्नी भगवान को प्यारी हो गई। नरसी जी का दूसरा विवाह कराया गया। समय बीतने पर नरसी की लडक़ी नानीबाई का विवाह हुआ। इधर, नरसी जी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। उधर नानीबाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई। किंतु नरसी को कोई खबर नहीं थी।
लडक़ी के विवाह पर पीहर की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया। नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई किंतु मदद तो दूर कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ। अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही लडक़ी के ससुराल के लिए निकल पड़े। कथा पांच जनवरी तक प्रतिदिन 12 से 4: 30 बजे तक होगी।