जयपुर। विक्रम संवत 2081 में आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दिनों का होगा। ज्योतिषियों और धर्माचार्यों को चिंता सता रही है कि इस अवधि में कुछ अनिष्ट नहीं हो जाए। धार्मिक संस्थाओं ने इस अवधि में यज्ञ अनुष्ठान की तैयारियां तेज कर दी है।ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि सामान्य रूप से प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 अथवा 14 तिथियों का मान रहता है, परंतु कभी देव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा दो तिथियों का क्षयवश 13 रह जाती है। ऐसा इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण संयोग बन रहा है। इसी तरह जून के आखिरी सप्ताह में तिथियों के क्षय होने से आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 की बजाय 13 ही दिन का रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं.सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि 23 जून से 5 जुलाई के बीच दो तिथियां क्षय होने से यह स्थिति बनेगी। दरअसल आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा और आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का क्षय होगा।
जब-जब ऐसा संयोग आता है देश-दुनिया में आपदा या अप्रत्याशित घटनाओं के होने की आशंका रहती है। लगभग 31 साल पहले वर्ष 1993 में भी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में भी ऐसी स्थिति बनी थी। तब 13 दिन का शुक्ल पक्ष था। सैकड़ों वर्षों बाद 2024 का आने वाला आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष देश और दुनिया के लिए संकट का कारण बन सकता है। 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ मास के दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि और चतुर्थी तिथि के क्षय होने से यह पक्ष 13 दिनों की होगी और यह काल दुर्योग काल के रूप में होगा। यह संयोग शुभ नहीं माना जाता है। लिहाजा दुर्योग काल के 13 दिनों तक शुभ काम या कोई भी मांगलिक काम नहीं करना चाहिए।
मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित
भारतीय पंचांग में हर पक्ष 15 दिन का होता है। लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाय 13 दिन ही रहेंगे। इसे भारतीय शास्वों में विश्व घस्त्र पक्ष नाम दिया गया है। इन 13 दिनों को अशुभ माना जाता है।। इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। हालांकि, बहुत जरूरी होने पर शुभ दिन और तिथि देखकर काम किया जा सकता है। द्वापर युग के महाभारत काल का संयोग एक बार फिर बन रहा है। इसके कारण आषाढ़ कृष्ण पक्ष सिर्फ 13 दिन का होगा। महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष निर्मित हुआ था। महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्रजा को नुकसान, रोग संक्रमण, महंगाई, प्राकृतिक आपदा, लड़ाई झगड़ा, विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।