जयपुर। राजधानी जयपुर में हनुमानजी महाराज के कई ऐसे अद्भुत मंदिर है। जिनके साथ कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई है। बताया जाता है इन मंदिरों में बालाजी प्रकट हुए थे और इनके दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते है।
ढ़हर के बालाजी मंदिर
ढ़हर के बालाजी मंदिर ये राजधानी का खास मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी जातक अपनी अपनी कामना के साथ सच्चे दिल से हनुमानजी महाराज के मंदिर में आते है। उसकी मनोकामना जरुरी पूरी होती है। बताया जाता है कि इनके दर्शन मात्र से व्यक्ति के दूखों का शमन होता है।
पापड़ के हनुमान जी मंदिर
विद्याधर नगर में स्थित पापड़ के हनुमानजी मंदिर की खोज एक निर्धन ब्रह्मण बालक ने की थी। यह मंदिर पहाड़ पर स्थित है। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है जो भी भक्त यहां आता है वो खाली हाथ नहीं लौटता। बताया जाता है कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामन पूर्ण होने के बाद सवामणि का आयोजन करते है । अधिकांश समय यहां धार्मिक अनुष्ठान और सवामणी का आयोजन जारी रहता है।
बिड़ला, पंचमु़खी हनुमान जी मंदिर
बिड़ला पंचमुखी हनुमान जी मंदिर ये सफेद संगमरमर से बना हुआ है। इस मंदिर को अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। ये जयपुर के सबसे अच्छे मंदिरों में एक है जो जयपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी स्थित है। ऐसी मान्यता है इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्त उसकी सुंदरता और शांति के प्रति मोहित हो जाता है। मंदिर में प्रवेश करने के बाद हनुमान जी महाराज के दर्शन मात्र से जातक को शांति मिलती है।
गलता गेट,गीता गायत्री स्थित पंचमुखी हनुमान जी मंदिर
गलता गेट स्थित गीता गायत्री पंचमुखी हनुमान जी मंदिर बंदरों की वजह से प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह वास्तुकला का भी अनोखा उदाहरण है। इस मंदिर में आने वाले जातक को हनुमान जी के दर्शन मात्र से दुखों से निजात मिलती है। यह हनुमान मंदिर जयपुर की हवेलियों व महलों के लिए काफी चर्चा में है।
जयपुर में है दो काले हनुमान जी की प्रतिमा
जयपुर में काले रंग की दो हनुमान प्रतिमाएं है। एक चांदी की टकसाल पर विराजमान है तो दूसरी जलमहल के पास आमेर के राजा जयसिंह ने रक्षक के रूप में जयपुर के सांगानेरी गेट के अंदर काले हनुमान जी की पूर्व दिशा की ओर मुख वाली प्रतिमा की स्थापना कराई थी। इसके अलावा मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित है।
बताया जाता है ये मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि बच्चों के नजर से बचाने के लिए इसमें ताबीज दिया जाता है जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में बालाजी महाराज के दर्शन मात्र से ही नजर दोष दूर होते है।
इसलिए पड़ा हनुमान का शरीर काला
ऐसा बताया जाता है कि जब हनुमान जी की शिक्षा पूरी हुई तो उन्होंने अपने गुरु सूर्यदेव से दक्षिणा मांगने की बात की। सूर्यदेव ने कहा कि उनका बेटा शनिदेव उनकी बात नहीं मानता है। गुरु दक्षिणा में वह शनिदेव को उनके पास ले आएं। हनुमान जी शनिदेव के पास गए, लेकिन शनिदेव ने जैसे ही उन्हें देखा तो क्रोधित हो गए।
उन्होंने हनुमान जी पर अपनी कुदृष्टि डाल दी। जिससे उनका रंग काला पड़ गया। फिर भी हनुमान जी शनिदेव को सूर्यदेव के पास ले आए। ऐसे में हनुमान जी की गुरुभक्ति से प्रभावित होकर शनिदेव ने उन्हें वचन दिया कि अगर कोई शनिवार को हनुमान जी की उपासना करेगा तो उस पर उनकी वक्र दृष्टि का असर नहीं होगा।
दिल्ली रोड स्थित खोले के हनुमान जी मंदिर
दिल्ली रोड स्थित खोले के हनुमानजी मंदिर जो अपने –आप में अलग ही पहचान बनाए हुए है। इस मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के अलावा देशी-विदेश पर्यटक भी प्रकृति की मनोरम छटा को निहारने के लिए दूर-दूर से आते है।
ये है मंदिर का इतिहास
60 के दशक में शहर की पूर्वी पहाड़ियों की खोह में बहते बरसाती नाले और पहाड़ो के बीच निर्जन स्थान में जंगली जानवरों के डर से शहरवासी यहां आने –जाने से डरते थे। तब एक साहसी ब्रह्मण ने इस स्थान का रुख किया और यहां पहाड़ पर लेटे हुए हनुमानजी की विशाल मूर्ति खोज निकाली। जिसके बाद जंगल में भगवान को देख ब्राह्मण ने यही पर हनुमानजी महाराज की सेवा पूजा शुरु कर दी। वो ब्राह्मण आगे चलकर पंडित राधेलाल चौबे के नाम से प्रसिद्ध हुए।
1961 में मंदिर के विकास के लिए की नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना
पंड़ित राधेलाल चौबे ने मंदिर के विकास के लिए 1961 में नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना की थी। जिसके बाद उन्होने धीरे-धीरे मंदिर का विकास कार्य करवाया। बताया जाता है कि जब यह स्थान निर्जन था तब पहाड़ों की खोह से यहां बरसात का पानी खोले के रूप बहता था। इसलिए मंदिर का नाम खोले के हनुमानजी पड़ा।
हाथोज धाम बालाजी मंदिर
राजधानी के हाथोज में भी चमत्कारी दक्षिण मुखी बालाजी मंदिर है। जिसमें हनुमान जी महाराज की प्रतिमा स्थापित है। कई सालों से हाथोज धाम में महंत बालमुकुंद आचार्य हनुमानजी महाराज की पूजा-अर्चना करते आ रहे है। वर्तमान में बालमुकुंद आचार्य जयपुर की हवामहल सीट से विधायक भी है। इनके दो संस्कृत विधालय भी है। जहां वैद्धिक अध्ययन भी कराया जाता है। हाथोज धाम का मंदिर जयपुर का सिद्ध दक्षिण मुखी बालाजी मंदिर है।
चांदपोल गेट हनुमान मंदिर
राजधानी जयपुर के चांदपोल गेट पर स्थित हनुमान जी का मंदिर भी काफी प्राचीन है। मंदिर प्रांगण में चमत्कारी हनुमान जी मूर्ति की स्थापना 1727 में मीणा शासन काल में हुई थी। इसे चार बेरीया वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों को बालाजी महाराज निराश नहीं होने देते।