जयपुर। टोंक रोड स्थित कीर्ति नगर जैन मंदिर में सोमवार को हुई धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनी समत्व सागर महाराज ने कहा कि जीव ने आज तक सदैव पर यानि बाहरी वस्तुओं की ओर ही दृष्टि लगाई है लेकिन स्वरूप की ओर से कभी दृष्टि नहीं बनाई है,जब तक हमारी दृष्टि बाहरी वस्तुओं पर रहेगी तब तक हम स्वयं को कैसे जानेगे। जीवन में सच्चे सुख की प्राप्ति तभी होगी जब हम अपनी दृष्टि बाहरी वस्तुओं से हटाकर अंतरंग की ओर ले जाएगी तभी हमें परमानंद की प्राप्ति होगी।
व्यक्ति को रूप को नहीं स्वरूप को सुंदर बनाना चाहिए। जब हम स्वरूप यानि अंदर की दृष्टि की निर्मल बनाओगे, तभी हम आनंद की प्राप्ति होगी।
उन्होंने आगे कहा कि संसार में सत्यता का परिचय कराने वाली जिनवाणी है,ऐसी जिनवाणी की मां की शरण में जाने से ही हमें संसार की सत्यता का परिचय होता है। जीवन में सफलता व असफलता दोनों ही आती है, असफलता मिलने पर जो दुखी होता है, वह व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होता है, सफल वहीं होता है जो असफलता को संभाल लेता है।