जयपुर। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व हैं । यह तिथि पितरों को समर्पित हैं । इस दिन पितरों का तर्पण और पिंड दान, श्राद्ध करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं और पितर सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैशाख माह में जल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैं।
पंडित शैलेश शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत 7 मई यानी मंगलवार को सुबह 11 बजकर 42 मिनट पर हो जाएगी और अगले दिन यानी 8 मई यानी बुधवार को सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या तिथि दो दिन मनाई जाएगी। जिसमें पितृ संबंधित कार्यों के लिए 7 मई यानी मंगलवार का दिन शास्त्र सम्मत रहेगा। इस दिन अमृत सर्वार्थ सिद्धि योग और आयुष्मान योग भी रहेगा । इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ दोष निवारण स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पितरों के लिए तर्पण जल सफेद फूल और काले तिल से करना चाहिए।
उसके बाद पितरों के लिए पिंडदान,श्राद्ध कर्म आदि सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 2 बजे के बीच में करना श्रेष्ठ रहेगा। शैलेश शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) के अनुसार इस बार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या उदयात तिथि को आधार मानते हुए 8 मई को सर्वार्थ सिद्धि योग और सौभाग्य योग में मनाई जाएगी । इस दिन देवताओं से संबंधित कार्य करना चाहिए। देव कार्य बुधवार को सुबह 5 बजकर 43 से 8 बजकर 52 मिनट तक करें।