जयपुर। प्रकृति ने ऋतुराज बसंत के स्वागत की तैयारियां कर ली है। बसंत के उल्लास और उमंग से रूबरू करवाने के लिए जवाहर कला केन्द्र की ओर से तीन दिवसीय बसंत पर्व का आयोजन किया जा रहा है। 12 से 14 फरवरी को होने वाले उत्सव में बासंती रंगों से सराबोर गायन, नृत्य और साहित्य की त्रिवेणी देखने को मिलेगी। बसंत पर्व से जुड़े हर कार्यक्रम में निःशुल्क प्रवेश ले सकेंगे।
12 फरवरी को रंगायन में शाम 6:30 बजे डॉ. विजय सिद्ध द्वारा आकल्पित कहरवा फ्यूज़न कार्यक्रम होगा। पंडित रमेश मेवाल और बुंदु खां लंगा इसमें गायन करेंगे। डॉ. विजय सिद्ध तबला वादन तो पंडित देबाजीत चक्रवर्ती सितार वादन करेंगे। 13 फरवरी को 4:30 बजे कृष्णायन में बैरागी बसंत कार्यक्रम होगा। साहित्यकार अंशु हर्ष ने इसकी संकल्पना की है। इसमें कविता, गीत और भजन के माध्यम से बसंत के सौंदर्य का बखान होगा। 13 फरवरी को शाम 6:30 बजे से रंगायन में शास्त्रीय संगीत की महफिल सजेगी।
मैजिक ऑफ स्ट्रिंग में सितार का जादू देखने को मिलेगा। पंडित चंद्र मोहन भट्ट और स्ट्रिंग्स म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वर्कशॉप के प्रतिभागी सामूहिक सितार वादन की प्रस्तुति देंगे। इसके बाद सितार और बांसुरी की जुगलबंदी होगी। पंडित कृष्ण मोहन भट्ट सितार और जे गांधी बांसुरी वादन करेंगे, पंडित शुभ महाराज तबले पर संगत करेंगे। 14 फरवरी, बसंत पंचमी को शाम 6:30 बजे रंगायन में कथक प्रस्तुति होगी। वरिष्ठ कथक नृत्यांगना डॉ. रेखा ठाकर के निर्देशन में होने वाली प्रस्तुति में बसंत के उमंग और उल्लास की झलक देखने को मिलेगी।