जयपुर। बसंत पंचमी के अवसर बिहार समाज संगठन व मैथिली महिला मंच ने जयपुर के अलग-अलग जगहों पर तीन दिवसीय सरस्वती पूजन महोत्सव मनाया। महोत्सव का समापन मां सरस्वती की प्रतिमा विसर्जन के साथ हुआ।
बिहार समाज संगठन ने सूर्य सप्तमी पर किया मूर्ति विसर्जन
बिहार समाज संगठन की ओर से दुर्गा विसतार कॉलोनी एनबीसी में सरस्वती पूजा महोत्सव के बाद सूर्य सप्तमी को मूति विसर्जन किया गया। जिसमें करीब एक हजार से अधिक भकतगण शामिल हुए। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कोषाध्यक्ष सुरेश पंडित ने बताया कि सूर्य सप्तमी पर आठ फीट की सरस्वती मां की मूर्ति को विसर्जन के लिए नेवटा बांध ले जाया गया। जिसमें 10 कारे, 4 लोड़िग गाड़ी, 29 मोटरसाईकिल, एक बड़ा ट्रक व डीजे की गाड़ी के साथ मां सरस्वती को विदा किया गया।
विजर्सन के दौरान रास्ते में भोजपुरी ,मगही और मैथिली लोकगीत गायकों ने पूरे समारोह को मां शारदे की भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया।
कई जगहों पर लगा जाम
मां सरस्वती की प्रतिमा के विसर्जन के लिए जाते समय गाड़ियों के बड़े लवाजमें से हसनपुरा ,चार नम्बर डिस्पेशनी ,घाटगेट पर लंबा जाम लग गया। जिसके बाद माता की प्रतिमा को नेवटा बांध में विसर्जन किया गया।
समाज के लोगों ने विसर्जन से पहले किया हवन
मां सरस्वती की प्रतिमा के विसर्जन से पहले शुक्रवार सुबह समाज की ओर से हवन किया गया। जिसके बाद गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा के रूप में मां सरस्वती की प्रतिमा को नेवटा बांध में ले जाकर विसर्जन किया गया।
समाज के ये लोग रहे उपस्थित
कार्यक्रम में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पवन शर्मा, महासचिव चंदन कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शशिशंकर झा, कोषाध्यक्ष सुरेश पंडित, संजीव मिश्रा, सुशील कुमार सिन्हा, अरविंद ओझा, शेष नाथ तिवाड़ी, चंदन सिंह, राहुल शर्मा, नोखे लाल महतो,चंदन रावत समेत कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।
मैथिली महिला मंच ने चंदलाई में किया मूर्ति विसर्जन
इसी कड़ी में मैथिली महिला मंच ने चंदलाई बांध में और राजस्थान मैथिल परिषद ने कानोता बांध में मां सरस्वती की प्रतिमा का विजर्सन किया। इस अवसर पर मैथिली महिला मंच की महिलाओं ने मां सरस्वती की प्रतिमा विसर्जन से पहले देवी मां की आराधना करते हुए विदाई गीत गाए। मंच की अध्यक्ष बबीता झा ने बताया कि वैसे तो मूर्ति विसर्जन का कार्य पुरूष द्वारा किया जाता है। लेकिन मंच में यह काम मैथिल महिलाओं ने किया है। मां सरस्वती मूर्ति विसर्जन से पहले उनकी पूजा अर्चना की गई। जो विवेंकानंद ठाकुर और अंजू ठाकुर ने की। इसी दौरान मंच की महिलाओं ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली भी खेली।