जयपुर। अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन, जयपुर में शनिवार को एसोसिएशन ऑफ एनिमल साइंटिस्टस’’ का द्वितीय वार्षिक सम्मेलन सहित ‘‘पशु स्वास्थ्य और उत्पादकता में तकनीकी हस्तक्षेप’’ पर सेमिनार का शुभारंभ हुआ। यह संगोष्ठी सोमवार तक संचालित की जा रही है। साथ ही विभिन्न वेटरनरी विश्वविद्यालय के लगभग तीन सौ प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक भाग ले रहे है। इस संगोष्ठी शीर्षक से संबंधित विभिन्न विषयों पर विषय-विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिये जायेंगे। इसके अलावा पोस्टर के माध्यम से भी वैज्ञानिक जानकारी दी जायेगी।
इस संगोष्ठी में डॉ.विकास पाठक, अधिष्ठाता, डूवासु, मथुरा, डाॅ.डी.एस.मीणा, अधिष्ठाता, सीएफडीटी, बस्सी, डाॅ. बी.पी.शुक्ला, अधिष्ठाता, एनडीवीएसयू, जबलपुर, डाॅ.अर्चना पाठक, डाॅ. आर.के.धुरिया, निदेशक, प्रसार शिक्षा, राजूवास, बीकानेर एवं डॉ. डी.एस. राजोरिया, सदस्य, भारतीय पशु चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली, डॉ.आर.के बघेरवाल, निदेशक, क्लिनिक, एनडीवीएसयू, एम.पी. भाग ले रहे है। कार्यकारी न्यासी अपोलो एनिमल मेडिकल गु्रप ट्रस्ट जयपुर डाॅ.दूल्हे राम मीना ने बताया कि इस महाविद्यालय का सौभाग्य है कि इस तरह की वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिससे कि सभी फैकल्टी, पशु चिकित्सा एवं विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। इस अवसर पर संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, डॉ. नितिन वी.पाटिल, कुलपति, महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर ने पशुपालन क्षेत्र डेयरी, मछली पालन, आईवीएफ व फीड एवं फोडर की कमी के संबंध में विस्तृत चर्चा की।
डॉ.आर.पी.एस.बघेल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ एनिमल साइंटिस्ट्स ने सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुए एसोसिएशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रो.(डॉ.) एस.के.गर्ग, माननीय कुलपति, राजूवास, बीकानेर पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान की विभिन्न चुनौतियों को स्वीकार करते हुए व उनका निस्तारण के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भेड़, बकरी व अन्य पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है व बताया कि वर्तमान में देष में करीबन 1.5 लाख पशुचिकित्सों की जरूरत है, जबकि 60 हजार पशुचिकित्सक उपलब्ध हो पा रहे है व बताया कि पालतू जानवर की संख्या लगभग 32 मिलियन है जो कि वर्ष 2026-27 तक 36-37 मिलियिन होने की उम्मीद है।
प्रो.(डाॅ.) ए.सी.वाष्नर्ये, संस्थापक कुलपति डूवासू, मथुरा ने अपने भाषण में सभी डेलीगेट्स को बताया कि वर्तमान में पशु विज्ञान में जो वैज्ञानिक उन्नति, कृषि क्षेत्र की तुलना में काफी ज्यादा है व भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है व मछली पालन में तृतीय स्थान एवं अंडा उत्पादन में आठवें स्थान पर है व पशु विज्ञान द्वारा जीडीपी में 4.9 का सहयोग है जो कि जेनेटिक्स सुधार के कारण संभव हुआ। अंत में प्रो.(डॉ.) जी.बी. देशमुख, अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर एसोसिएशन ऑफ एनीमल साइंटिस्ट व राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.सी.एस. शर्मा ने डॉ. दूल्हे राम मीना, कार्यकारी न्यासी, अपोलो एनिमल मेडिकल ग्रुप ट्रस्ट, जयपुर, मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डाॅ.) नितिन वी. पाटिल, कुलपति, महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर, प्रो. (डाॅ.) एस.के.गर्ग, कुलपति, राजूवास, बीकानेर, प्रो.(डाॅ.) ए.सी.वाष्नर्ये, संस्थापक, कुलपति डूवासू, मथुरा व अन्य अतिथि व संगोष्ठी में उपस्थित सभी डेलीगेट्स का स्वागत किया। साथ ही एसोसिएशन व अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के बारे संक्षिप्त जानकारी दी।