जयपुर। शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले वतन पर मरने वालों का यही आखिरी निशां होगा….। एक ऐसा ही मेला शहीद मेजर योगेश अग्रवाल की 20वीं पुण्यतिथि पर गुरुवार को सीकर रोड पर मुरलीपुरा बीड़ स्थित मेजर योगेश अग्रवाल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में लगा। श्रद्धांजलि समारोह में समाज के हर वर्ग ने वतन पर मरने वाले शहीद के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित किए।
प्रारंभ में योगेश अग्रवाल के पिता अजय कुमार अग्रवाल, मां कुसुम देवी, बहन आरती सिंघल, मितुल सिंघल सहित अन्य परिजनों ने नम आंखों से पुष्पाजंलि अर्पित की। जिस पांच जाट रेजिमेंट में योगेश अग्रवाल ने अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दी थी उससे लेफ्टिनेंट कर्नल अमित चौधरी, लेफ्टिनेंट कर्नल नितिन, सूबेदार मेजर हरजीत सिंह ने अपने रेजिमेंट के गौरव को सलामी दी। शहीद मेजर आलोक माथुर के पिता आर एस माथुर, शहीद हिम्मत सिंह के पिता किशोर सिंह एवं अन्य शहीद परिजनों ने भी योगेश अग्रवाल में अपने शहीद पुत्र की छवि देखते हुए भावभरी श्रद्धाजंलि दी।
अग्रवाल समाज मुरलीपुरा सहित कई संगठनों के पदाधिकारियों ने भी पुष्पाजंलि अर्पित की। इस मौके पर मुरलीपुरा क्षेत्र की एक दर्जन से अधिक विद्यालयों के विद्यार्थियों ने देशभक्ति पूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पांच जाट रेजिमेंट से लेफ्टिनेंट कर्नल अमित चौधरी ने शहीद मेजर योगेश अग्रवाल की वीरता के गाथा सुनाकर देश सेवा के लिए प्रेरित किया।
अग्रवाल समाज मुरलीपुरा के पदाधिकारियों ने विद्यालय की मरम्मत के लिए 51000 का सहयोग का आश्वासन दिया।
पंजाब-कश्मीर में रहे तैनात:
दिसंबर 2000 में जाट रेजिमेंट की 5वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त योगेश अग्रवाल पंजाब और जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे। 19 सितंबर 2004 को मेजर योगेश ने अपनी यूनिट के साथ बारामुल्ला जिले के नादिहाल गांव में घुसे चार आतंकवादियों में से तीन को ढेर कर दिया था। इस भीषण मुठभेड़ में मेजर योगेश अग्रवाल को भी कई गोलियां लगीं और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया और शहीद हो गए।
पढ़ाई में अव्वल, बेहतरीन खिलाड़ी भी थे:
योगेश अग्रवाल का जन्म 13 नवंबर 1978 को हुआ था। शिक्षा जयपुर ही हुई। पढ़ाई में अव्वल थे। फुटबॉल, क्रिकेट और टेबल टेनिस खेलते थे। दिसंबर 2000 में उन्हें जाट रेजिमेंट की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला। उन्होंने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में विभिन्न परिचालन क्षेत्रों में सेवा की और अपने समर्पण और नेतृत्व गुणों के लिए अपने वरिष्ठों से प्रशंसा प्राप्त की।
2004 के दौरान मेजर योगेश अग्रवाल की यूनिट 5 जाट को जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला जिले में तैनात किया गया था 19 सितंबर 2004 को मेजर योगेश की यूनिट को बारामुल्ला जिले के नादिहाल गांव में एक घर में चार आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिली। मेजर योगेश को इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया।
योजनानुसार मेजर योगेश और उनके साथी 19 सितंबर की शाम को संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचे और तलाशी और घेराबंदी अभियान शुरू किया। दोनों ओर से भारी गोलीबारी के साथ भीषण मुठभेड़ शुरू हो गई। मेजर योगेश ने अपने सैनिकों को चतुराई से तैनात किया और आगे से नेतृत्व करते हुए छिपे हुए आतंकवादियों पर हमला किया।
मेजर योगेश अपने साथियों के साथ करीब से तीन आतंकवादियों को मार गिराने में सफल रहे। हालांकि, इस दौरान मेजर योगेश अग्रवाल को भी कई गोलियां लगीं और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया और शहीद हो गए।