जयपुर। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शोभन और सौभाग्य योग में उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर उपासना व्रत भी रखा जाएगा। इस एकादशी पर दान-पुण्य का विशेष जोर रहेगा।
धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साधक श्रद्धा भाव से जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे। मंदिरों में भी विशेष पूजन-अनुष्ठान होंगे।
पंडित बनवारी लाल शर्मा के अनुसार उत्पन्न एकादशी 8 दिसंबर को ही सूर्योदय के बाद शुरू हो जाएगी। ऐसे में कई लोग आठ दिसंबर को भी एकादशी का व्रत रखेंगे। लेकिन गोविंद देवजी सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में 9 दिसंबर को एकादशी का व्रत रखेंगे। गोविंद देवजी मंदिर में एकादशी 9 दिसंबर को मनाई जाएगी। गोविंद देवजी मंदिर में एकादशी पर ठाकुर जी को लाल रंग की विशेष पोशाक धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण धारण कराए जाएंगे। श्रद्धालु ठाकुर जी के दर्शन के साथ मंदिर के सत्संग भवन में सात अरब राम नाम की परिक्रमा भी कर सकेंगे।
दो श्रेष्ठ योग में होगी श्री हरि की अर्चना
उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। दोनों योग पूजन के दृष्टिकोण से शुभ और श्रेष्ठ माने जाते हैं। सौभाग्य योग देर रात 12:05 बजे तक है। इसके बाद शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग 9 दिसंबर को रात 11:37 बजे समाप्त होगा।
मान्यता है कि इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साधक 8 और 9 दिसंबर को सौभाग्य और शोभन योग में विधि-विधान से पूजा-अर्चना करेंगे।
दोनों योग पूजन के दृष्टिकोण से शुभ और श्रेष्ठ माने जाते हैं। सौभाग्य योग देर रात 12:05 बजे तक है। इसके बाद शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग 9 दिसंबर को रात 11:37 बजे समाप्त होगा। मान्यता है कि इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साधक 8 और 9 दिसंबर को सौभाग्य और शोभन योग में विधि-विधान से पूजा-अर्चना करेंगे।