जयपुर। मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी शुक्रवार को विवाह पंचमी के रूप में मनाई गई। छोटीकाशी के मंदिरों में सीताराम की पूजा और दर्शनों के लिए श्रद्धालु की भीड़ रही। सुहागिन महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर अखंड सौभाग्य की कामना की। सर्वार्थ सिद्धि योग, स्थिर और रवि योग में भगवान राम का राजशाही शृंगार किया गया। मुख्य आयोजन छोटी चौपड़ के सीताराम मंदिर, चांदपोल के रामचंद्र जी मंदिर में हुआ।
धार्मिक मान्यतानुसार भगवान राम और माता जानकी का विवाह इसी दिन हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी पर बड़ी संख्या में विवाह और अन्य मांगलिक आयोजन हुए। मांगलिक और शुभ कार्यों के चलते दिनभर चहल पहल रही। मार्गशीर्ष पंचमी तिथि को ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूरी की थी। इसलिए विवाह पंचमी को श्रद्धालुओं ने रामचरितमानस के पाठ किए। विशेषकर बालकांड और राम-जानकी विवाह के प्रसंग का सपरिवार पाठ किया गया। छोटीकाशी के कई मंदिरों में भगवान राम का विधि विधान से विवाह हुआ।
चांदपोल बाजार स्थित मंदिर रामचंद्र जी में महंत नरेन्द्र तिवाड़ी के सान्निध्य में विवाह पंचमी महोत्सव मनाया गया। राम-जानकी जी को सोने के सेवरे धारण करवाए गए। भगवान राम को जरदोजी की मखमल की रानी रंग की पोशाक तथा सीताजी को चूंदड़ी धारण करवाई गई। दूल्हे के स्वरूप में राम जी को कटार भी धारण करवाई गई। गलता तीर्थ में भगवान राम और सीताजी का अभिषेक कर राजसी पोशाक धारण कराई गई। ऋतु पुष्पों से श्रृंगार कर भगवान राम और सीताजी का पाणिग्रहण संस्कार कराया गया।