December 18, 2024, 6:34 pm
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आंवला नवमी पर महिलाओं ने की समूह की पूजा

जयपुर। प्रदेश भर में कार्तिक शुक्ल नवमी रविवार को अक्षय नवमी और आंवला नवमी के रुम में धूमधाम से मनाई गई। उत्तम स्वास्थ्य की कामना व भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए महिलाएंओ ने समूह में आंवले के पेड़ की पूजा कर परिक्रमा की और आंवला नवमी की कथा सुनी।धार्मिक मान्यताओ के अनुसार आंवले की पूजा करने से भगवान विष्णु जी और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। अक्षय नवमी को विभिन्न जगहों पर पूजा -पाठ के साथ आंवले का दान भी किया गया।

अक्षय नवमी के अवसर पर पर्यावरण गतिविधि राजस्थान के संयोजक अशोक कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि आंवला नवमी प्रकृति का सम्मान करने का संदेश देता है। पेड़ -पौधों से ही हमारा जीवन है और हमें इनकी पूजा करनी चाहिए साथ ही इनकी देखभाल करनी चाहिए।

इसलिए मनाई जाती है अक्षय नवमी

ज्योतिषाचार्य डॉ महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि अक्षय नवमी जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी पर देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ शिव जी की पूजा करनी चाहती थी। माता लक्ष्मी ने सोचा कि विष्णु भगवान जी को तुलसी अतिप्रिय है और शिव जी को बिल्व पत्र प्रिय है। तुलसी और बिल्व पत्र के गुल एक साथ आंवले में होते है। ऐसा सोचने के बाद देवी लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को ही भगवान विष्णु और शिव जी का स्वरूप मानकर इसकी पूजा की। देवी लक्ष्मी की इस पूजा से विष्णु जी और शिव जी प्रसन्न हो गए। विष्णु जी और शिव जी देवी लक्ष्मी के सामने प्रकट हुए तो महालक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे ही विष्णु जी और शिव जी को भोजन कराया।

इस कथा की वजह से ही कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले की पूजा करने की और इस पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने परंपरा है। एक मान्यता ये भी है कि अक्षय नवमी पर महर्षि च्यवन ने आंवले का सेवन किया था। आंवले के असर से च्यवन ऋषि फिर से जवान हो गए थे।

आयुर्वेद में आंवले को माना जाता है उत्तम, आंवला स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी

आयुर्वेद में भी आंवले को उत्तम माना जाता है। क्योकि आंवले का रस और चूर्ण स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। डॉ बी एस बराला ने बताया कि आयुर्वेद में आंवल से कई रोगों को ठीक किया जा चुका है। आयुर्वेद की औषधि में आंवले के रस का इस्तेमाल किया जाता है। आंवले का रस, चूर्ण और मुरब्बा ये सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। आंवले के नियमित सेवन से अपच, कब्ज, गैस जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।

श्री सरसबिहारी जी मंदिर में मनाया गया भगवान का प्राकट्योत्सव

कलवाड़ा में रविवार श्री निम्बार्क जयंती महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर भगवान का प्राक्ट्योत्सव मनाया गया। श्री निम्बार्क महोत्सव 13 नवंबर तक जारी रहेगा। रविवार को श्रीसर्वेश्वर प्रभु,श्रीहंस भगवान,श्रीसनकादिक प्राकट्योत्सव के अंतर्गत श्रीसरसबिहारी मंदिर में विराजमान दक्षिणावर्ती चक्रांकित सूक्ष्म श्रीशालिग्राम प्रभु का पंचामृत से महाभिषेक किया गया। जिसके पश्चात ठाकुर श्री जी को नवीन पोशाक धारण करवाई गई। ठाकुर जी को भोग अर्पण करने बाद प्रसादी का वितरण किया गया।

श्रीनिम्बार्क परिषद के महामंत्री अमित शर्मा ने बताया कि श्रीनिम्बार्क परिषद के तत्वावधान में मंदिर श्रीमाधव बिहारी स्टेशन रोड, में निम्बार्क जयंती का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जो 13 नवंबर तक चलेगा।
श्रीनिम्बार्क जयंती के अवसर पर पूरे भारत के विभिन्न जगहों से पधारे संतो महात्माओं और विद्वतजनों के सानिध्य में धूमधाम से मनाया जाएगा। जिसमें अलग -अलग दिन तक श्री निम्बार्क भगवान का अभिषेक,बधाई गान,आचार्य चरित्र कथा,निकुज्ज लीला के दर्शन,श्रीसर्वेश्वर -जयादित्य पञ्चाङ्गम् और श्रीसरस पद माधुरी का विमोचन,संत विद्वत समागम आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

आंवला नवमी पर कृष्ण, राममय हुआ श्रीअमरापुर धाम

छोटी काशी गुलाबी नगरी में आस्था का केंद्र श्री अमरापुर दरबार में कार्तिकोत्सव के अंतर्गत रविवार को आंवला नवमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में महिलाओं ने समूह में रहकर आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना की। इससे पूर्व मंदिर परिसर में संतों ने विधि विधान से आंवले वृक्ष का पूजन किया किया। संतों के सानिध्य में कच्चा दूध,दीप,मोली बांधकर आंवला पूजन किया गया। इसके पश्चात संतो ने तिलक, मोली, दीप, प्रसाद,कच्चा दूध आंवले के पेड़ में अर्पित किया। आंवला पूजन के पश्चात प्रतिदिन की तरह निकलने वाली प्रभात फेरी में सैकड़ो की संख्या में भक्तगण शामिल हुए और महासंकीर्तन का लाभ उठाया।

महासंकीर्तन में हरिनाम से भक्तगण मंत्र मुग्ध होते नजर आए। संत मोनू महाराज ने बताया कि प्रभात -फेरी हरिनाम संकीर्तन 15 नवंबर तक चलेगा। कार्तिक महोत्सव में स्वामी मनोहर लाल महाराज,संत मोनूराम,संत गुरदास,संत हरीश,संत अविनाश आदि के सानिध्य में भजन संकीर्तन का आयोजन किया गया। मोनू महाराज ने बताया कि 12 नवंबर मंगलवार को हर प्रबोधिनी,देवउठनी एकादशी पर सुबह शाम हरिनाम संकीर्तन के साथ एकादशी प्रसाद वितरण किया जाएगा।

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