जयपुर। तेजी से बढ़ रही हृदय संबंधित समस्याओं में सीटीओ (क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन) भी काफी देखने को मिल रहा है। इसकी काफी जटिल माने जाने वाले इस ब्लॉकेज की एंजियोप्लास्टी भी बहुत मुश्किल होती है। सीके बिरला हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग ने सीटीओ (क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन) वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में देश के चुनिंदा युवा कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट्स को अति जटिल माने जाने वाली सीटीओ एंजियोप्लास्टी करने का प्रशिक्षण दिया गया।
इस वर्कशॉप के समन्वयक डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि सीटीओ हार्ट की कोरोनरी आर्टरी में पुराना ब्लॉकेज होता है, जो काफी समय से बंद होता है। यह ब्लॉकेज 100 प्रतिशत बंद होता है और लक्षण आने के कम से कम 3 महीने पहले से ही बंद हो चुका होता है। इस प्रकार की एंजियोप्लास्टी करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि सीटीओ के केस में ब्लॉकेज बहुत कठोर होता है और सामान्य वायर और बैलून उसमें नहीं जा पाते। इसके लिए स्पेशलाइज्ड वायर का उपयोग किया जाता है, जो इस कठोर ब्लॉकेज में प्रवेश कर सकते हैं।
वर्कशॉप के प्रोक्टर डॉ संजीब राय ने बताया कि सीटीओ ब्लॉकेज के कारण रक्त प्रवाह दूसरी आर्टरी से होने लगता है, इसलिए सीटीओ के केस के दौरान दूसरी आर्टरी को भी शामिल करना पड़ता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वायर की स्थिति सही है और केस में कोई हानि नहीं होगी। इस जटिल प्रक्रिया को पूरा करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है और इसमें 80 से 85 प्रतिशत मामलों में सफलता प्राप्त होती है। वर्कशॉप में 4 मुश्किल केसेज को एक दिन में सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस दौरान अन्य कार्डियोलॉजिस्ट्स भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी को सीखा। रोज़ाना लगभग 30 प्रतिशत केस सीटीओ से जुड़े होते हैं, जिससे इस प्रशिक्षण की महत्ता और भी बढ़ जाती है।
इस दौरान सीके बिरला हॉस्पिटल के वाईस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी ने कहा कि हॉस्पिटल का यह प्रयास न केवल युवा कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट्स को अत्याधुनिक तकनीकों से अवगत कराने का है, बल्कि इससे सीटीओ के मरीजों को भी अत्यधिक लाभ होगा।