जयपुर। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है। महासभा ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाते हुए इस आशय की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, व्यापक कल्याण और आंतरिक परिवर्तन का दिन। खुशी है कि भारत ने कोर ग्रुप के अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने का मार्गदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव को सह प्रायोजित किया था, जिसे सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के लिए अपनाया गया था। लिंकटेस्टिंग, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा सहित भारत उन देशों के मुख्य समूह का सदस्य था। लिंकटेस्टीन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को बांग्लादेश, बुल्गारिया, बुरुंडी, डोमिनिकन, गणराज्य, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्लोवेनिया ने भी सह -प्रायोजित किया।
देश-दुनिया में बढ़ेगा ध्यान का महत्व:
सहजयोग ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं महासचिव रमेश गुप्ता और सहजयोग ट्रस्ट के प्रचार प्रसार कमेटी के सदस्य एवं मीडिया प्रभारी लक्ष्मण प्रसाद सिंघल ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की इस घोषणा से देश-दुनिया के लोग बढ़ चढक़र ध्यान की गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। ध्यान आधुनिक समस्याओं से निपटने के लिए व्यक्ति को तैयार करता है। ध्यान से मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित होता है। सहजयोग ध्यान पद्धति की आविष्कारक श्रीमाताजी निर्मला देवी द्वारा विश्व के 108 देश में नि:शुल्क कुंडलिनी की जागृति एवं ध्यान के सूक्ष्म अनुभव कराया जाता है।