February 3, 2025, 12:17 pm
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गायत्री शक्तिपीठ में हुआ वाद्य यंत्रों का पूजन, बच्चों का कराया विद्यारम्भ संस्कार

जयपुर। ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां शारदे का प्राकट्योत्सव पर्व बसंत पंचमी रविवार को छोटी काशी में धूम धाम से मनाया गया। मां सरस्वती को पीत पोशाक धारण कराकर पीले पुष्पों से आकर्षक श्रंगार किया गया। ब्रह्मपुरी, वाटिका, कालवाड़ शक्तिपीठ, मानसरोवर के वेदना निवारण केंद्र सहित 24 प्रज्ञा केन्द्रों में पर्व पूजन, वाद्य यंत्र पूजन, गायत्री यज्ञ, बालकों का विद्यारंभ संस्कार कराया गया। गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का आध्यात्मिक जन्म दिवस भी बसंत पंचमी को मनाया गया ।

मुख्य आयोजन गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में सुबह साढ़े आठ से दोपहर दो बजे तक हुआ। एक हजार से अधिक लोगों ने यज्ञ देवता को आहुतियां अर्पित की। बच्चों को मेधावी बनाने के लिए सरस्वती गायत्री मंत्र से विशेष आहुतियां दीं गई। । इस मौके पर पर्व पूजन के बाद वाद्य यंत्रों और वेदों का भी पूजन किया गया ।बड़ी संख्या में छोटे बच्चोंं का विद्यारंभ संस्कार भी कराया गया । पुंसवन संस्कार भी किया गया।गायत्री शक्तिपीठ वाटिका और गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ में भी बसंत पंचमी उत्सव बड़े स्तर पर मनाया गया।

किरण पथ, मानसरोवर स्थित वेदना निवारण केन्द्र पर रविवार को बसंत पंचमी पर्व उत्साह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर विविध आयोजन हुए ।अखिल विश्व गायत्री परिवार की संस्थापक वंदनीय माताजी भगवती देवी शर्मा और अखंड दीपक के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए साधकों को वर्षपर्यंत चलने वाले साधनात्मक कार्यों में से किसी एक भी साधना का संकल्प करवाया गया। ज्ञान की देवी सरस्वती और वाद्य यंत्रों का पूजन के बाद नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुआ। इसके बाद साधना संकल्प समारोह हुआ। गायत्री चेतना केन्द्र दुर्गापुरा में पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ के साथ बसंत पर्व मनाया गया।

एक साल की साधना का कराए संकल्प:

गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर सभी प्रज्ञा केंद्रों पर लोगों को बसंत पंचमी 2026 तक की अवधि में साधना अनुष्ठान से जुडऩे का संकल्प कराया गया। अखंड दीपक एवं वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में स्थान-स्थान पर ज्योति कलश यात्रा के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पांच कुंडीय यज्ञ से लेकर 108 कुंडीय यज्ञों की श्रृंखला चल रही है।

ऐसे में बसंत पंचमी-2025 से लेकर बसंत पंचमी 2026 तक का समय गायत्री परिवार के परिजनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए कार्यक्रमों की सफलता के लिए सूक्ष्म में वातावरण बनाने तथा व्यक्तिगत जीवन को परिष्कृत करने के लिए साधना अनुष्ठान शुरू किए हैं। जयपुर उपजोन में 2026 की बसंत पंचमी के लिये एक वर्षीय साधना अनुष्ठान चलाने की योजना बनाई गई है। संकल्पित सड़क को तीन या 11 माला प्रतिदिन जप करने होंगे।

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