जयपुर। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर ने “मानव क्षमता के मनोविज्ञान की ओर” विषय पर 14वां थॉट लीडरशिप व्याख्यान आयोजित किया। इस व्याख्यान का संचालन डॉ. प्रशांत गुप्ता ने किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्रा पीएच.डी. पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा थे। इंस्टीटयूट के डायरेक्टर डॉ. प्रभात पंकज ने मुख्य वक्ता का स्वागत ग्रीन सर्टिफिकेट से किया और बौद्धिक विचार विमर्श में उनके अमूल्य योगदान के लिए प्रो. मिश्रा का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति स्वयं ही अपने जीवन का स्वामी है और उसके विकास की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने इतिहास में नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तियों के संघर्षों के कई उदाहरण साझा किए और कहा कि किसी भी व्यक्ति की क्षमता निश्चित नहीं है। व्यक्ति अपनी क्षमताओं को कैसे साकार करने के लिए कैसे काम करता है यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कोई अपने प्रयासों में कैसे निवेश करता है और अवसर का लाभ उठाता है। भारतीय दार्शनिक परंपराओं से आगे बढ़ते हुए, उन्होंने भौतिकता और आध्यात्मिकता को जोड़ने में मन या “सत्व” की भूमिका पर जोर दिया।
प्रोफेसर मिश्रा ने एक पूर्ण जीवन के लिए “धर्म” और “सच्चिदानंद” के साथ रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा- जहां मन की पवित्रता और आनंदमय व्यक्तित्व प्रबल होता है वही व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल कर लेता है। छात्र मामलों के डीन डॉ. दानेश्वर शर्मा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को उनकी भागीदारी और सहभागिता के लिए उनका आभार व्यक्त किया।